Thursday, April 29, 2021

MERE HAMDAM ( GEET )

 

                 मेरे हमदम 

 

तेरे पाँवों की आहट ,अब भी आती है मेरे हमदम ,

तेरी साँसों की गर्मी ,अब भी आती है मेरे हमदम | 

 

कहने को दूरियाँ भी हैं , तन्हाईयाँ भी हैं ,

होने को इस जहां की ,रुसवाईयाँ भी हैं ,

पर तेरी बाँहों का हार ,अब भी पाती हूँ मेरे हमदम | 

 

ये दूरियाँ ना होतीं ,तो कसक भी ना होती ,

तन्हाइयों की मीठी ,तड़प भी ना होती ,

रुसवाईयों में तेरा प्यार भी ,तो पाती हूँ मेरे हमदम | 

 

Monday, April 26, 2021

KHANAK GAIN ( JALAD AA )

 

       खनक गईं   

 

साजन दूर बसे फिर भी ये ,

बैरन चूड़ियाँ खनक गईं ,

चाहा सपनों में खो जाऊँ मैं पर ,

बैरन चूड़ियाँ खनक गईं | 

 

याद आई है सावन की ,

परदेस गए उस साजन की ,

मन यादों में खोया था पर ये ,

बैरन चूड़ियाँ खनक गईं | 

 

सारी रतिया बरसात हुई ,

प्रीतम से थीं दो बात हुईं ,

हम प्यार में डूब गए थे पर ये ,

बैरन चूड़ियाँ खनक गईं | 

 

सुंदर सपना है आने का ,

साजन को यहाँ बुलाने का ,

शायद वो भी आ जाते पर ये ,

बैरन चूड़ियाँ खनक गईं | 

   

BEVAFA HO JAATE ( GEET )

 

            बेवफा हो जाते 

 

चाँद ,तारे तो मुझपे रो पाते ,

काश तुम बेवफा ही हो जाते ,

ये नज़ारे ना मुझको तड़पाते ,

काश तुम बेवफा ही हो जाते | 

 

जीवन ना लगता सूना ,

तनहाईयों में जितना ,

मिलता जो साथ तेरी ,

रुसवाईयों का इतना ,

तेरे संग बीते लम्हे ना याद आते ,

काश तुम बेवफा ही हो जाते | 

 

खामोशियाँ कहतीं ,

तेरी याद की कहानी ,

हर जगह ये चर्चे होते ,

हर एक की जुबानी ,

हम जुल्फ यूँ ना बिखराते ,

काश तुम बेवफा ही हो जाते | 

 

Sunday, April 25, 2021

PAAV KI DUNIYA ( GEET )

 

           पाव की दुनिया 

 

चलो दोस्तों नई दुनिया में ,

सोने से सुनहरे पाव की दुनिया में ,

                     ये है पाव की दुनिया | 

कोई तो है मीठा ,कोई है फीका ,

कोई है चौकोर तो ,कोई हैगोल ,

कोई -कोई तो दोस्तों ,होता है लंबा सा ,

                       ये है पाव की दुनिया | 

वड़ा लगाओ बीच में ,तो कहलाता वड़ा पाव ,

लंबी सी मिर्ची और चटनी से खाओ ,

तीखा - तीखा , चटपटा सा ,

                       ये है पाव की दुनिया | 

छोले और नमकीन मिलाकर ,

मिसल बना है स्वाद में अच्छा ,

साथ पाव मिलने से ,वो बन गया मिसल पाव ,

                          ये है पाव की दुनिया | 

सब्जियों को मिला -मिलाकर ,बनती है भाजी ,

मिले पाव तो बनी पाव भाजी ,

                             ये है पाव की दुनिया | | 

थोड़ी अलग सी सब्जी संग ,ऐसे ही बनती दाबेली ,

मक्खन संग बने मस्का पाव ,

                               ये है पाव की दुनिया | 

आलू की टिक्की से मिलकर ,बर्गर भी बन जाता है ,

सब चीजें बनती हैं दोस्तों ,स्वाद देतीं चटपटा दोस्तों ,

                                  ये है पाव की दुनिया | 

   


Thursday, April 22, 2021

LAYA KAHAN SE ( CHANDRAMA )

 

     लाया कहाँ से  ( चंद्रमा )


गगन में बैठे चाँद बता ,

     इतनी चमकीली चाँदनी तू ,

                      लाया कहाँ से ?

चाँदी सी है तेरी चाँदनी ,

      पर बोल जरा इसको तू ,

                      लाया कहाँ से ? 


चाँदनी फैली गगन में ,तेरे साथ ,

तुम्हारा दोनों का है , हाथों में हाथ ,

इतनी सुंदर दुल्हनिया ,तू बोल दे ,

                        लाया कहाँ से ? 


तारे हैं बाराती तेरे ,

दामिनी का है बैंड - बाजा ,

बदरा की शहनाई लेके ,बता जरा तू ,

                        चाँदनी लाया कहाँ से ? 

 

धरा से ,करोड़ों आँखें ,

देखतीं हैं , गगन को ,

चाँद को और उसकी ,चाँदनी को ,

बता दे ओ चाँद जरा ,

                      चाँदनी लाया कहाँ से ? 

    

Wednesday, April 21, 2021

MUKTAK ( 3 )

 

    

   मुक्तक ( 3 ) 

 1 )

   वक्त -ए -रुखसत पर ,कोई ना गिला करना ,

जाने के बाद वहाँ ,ना याद हमें करना | 

 2 )

    बैठी हूँ आस लिए ,अपने व्याकुल मन में ,

एक याद तो होगी मेरी भी ,मेरे साजन के मन में | 

 3 )

     इस शुभ घड़ी में हमदम ,देती हूँ दुआ तुझको ,

लग जाए बाकि सारी ,मेरी भी उम्र तुझको |

Tuesday, April 20, 2021

MUKTAK ( 02 )( JIVAN )

 

       मुक्तक   (  02  ) 

1 )

  एक ग़म -ए -जिंदगी ,तन्हा ,तन्हा ,तन्हा ,तन्हा ,

प्यार का आलम मिला ,तो सिर्फ लम्हा ,लम्हा ,

दर्द -ए -तन्हाई मिली ,ता -उम्र साथ दे गई ,

तेरी बेवफाई तो ,दिल का सुकून ले गई | 

 2 ) 

पलकों में उनकी हमें ,कई ख्वाब नजर आए ,

आँखें जो मिलीं उनसे ,सागर से उभर आए ,

अनजानी डोर के रिश्ते से ,बँध कर हम ,

पहुँचे जो पास उनके ,बुत -ए -पत्थर वो नजर आए | 

 

 

Monday, April 19, 2021

PAHIYA SAMAY KA ( KAAL CHAKR )

 

           पहिया समय का 

 

काल यानि समय का पहिया ,

घूमता रहता है ,चलता रहता है ,

उसी के अनुसार नए मानव ,

आते रहते हैं ,जाते रहते हैं |

 

ईसा पूर्व बहुत समयपहले ,

अवतरित हुआ एक महापुरुष ,

हिंदुस्तान की सरजमीं पर जन्म लिया ,

एक पुण्यात्मा ने ,नाम था उसका चाणक्य | 

 

बहुत बुद्धिशाली ,बहुत बलशाली ,

सच्चा देशभक्त ,देश पे जान देने वाला ,

कुशाग्र बुद्धि ,हिंदुस्तान का सच्चा हीरा ,

ऐसा था वह हमारा चाणक्य | 

 

बहुत पढ़ाई करके ,

ज्ञान के भंडार को ,आत्मसात करके ,

उस समय विश्व विद्यालयों की स्थापना करके ,

ज्ञान के भंडार को हिंद के बच्चों में ,

वितरित करने का ,उनके ज्ञान के वृक्ष को ,

पल्लवित करने का श्रेय ,

चाणक्य महान को जाता है | 

 

एक निर्दयी ,अत्याचारी राजा धनानंद को ,

हटाकर ,एक बुद्धिमान ,उगते सूर्य जैसा ,

उसको राजसिंहासन पर बैठाया ,

उसकी शक्तियों को पहचान ,

उनको विकसित कर ,प्रजा को सुखी बनाया | 

 

कुछ ग्रन्थ लिखे, जिनमें अपने अंदर ,

  दिल -दिमाग में पल्लवित ज्ञान को ,

उन ग्रंथों में उंडेलकर ,

आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोया | 


किसी भी देश के राजा की योग्यता ,

राजा के कर्त्तव्य ,और अधिकार ,

चाणक्य ने वर्णित किए ,

जो एक राजा को जानने जरूरी थे | 


चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री थे ,

करीब   25   शतक बीतने के बाद भी ,

आज भी उनका अर्थशास्त्र ,

एक प्रकाश -स्तंभ के समान खड़ा है | 


देश की अर्थ -व्यवस्था कैसी हो ? 

कैसे उसे लागू किया जाए ? 

कैसे आगे बढ़ाया जाए ? 

यही सब था चाणक्य का ,महान नजराना ,

आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए ,

देश की भावी संतानों के लिए | 

जय हिंद ,वंदे मातरम | 

 

Sunday, April 18, 2021

VEERON TUMHEN SALAAM ( THANKYOU LETTERS 19/04/21 )

 

 

                   वीरों तुम्हें सलाम 

 

थैंक यू वीरों ,धन्यवाद धीरों ,

देश की जान हो तुम ,देश का सम्मान हो तुम | 

 

इस फैली महामारी में ,आफत की इस पारी में ,

तुम चले हो मान से ,तुम बढ़े हो शान से ,

कीर्ति की लिए पताका ,आगे बढ़े मुस्कान से | 

 

देश को ढाँढस बँधाया ,देश को तुमने बचाया ,

देश का सलामवीरों ,देशवासियों का नमन है ,

जिंदगी तुम्हारी बदौलत ,बन गई मानो चमन है | 

 

तुम खड़े रहे फ्रंट पर ,सीमा पर डट कर रहे ,

तुम ही अस्पतालों में ,बीमारों का हौसला बने ,

अपनी फ़िक्र ना तुमको रही ,दूसरों का भरोसा बने ,

हमारा नमन तुमको है ,नमन है वीरों नमन है | 

 

घर के अंदर ही तुमने ,सभी को सामान पहुँचाया ,

सुरक्षित रखा सभी को ,तुम ही छाती चौड़ी कर डटे रहे ,

तुम जैसे जवानों से ही तो ,हम बचे हैं महामारी से ,

धन्यवाद तो छोटा है ,सैल्यूट करते हैं तुम्हारी हिम्मत को | 

 

ईश्वर दे आशीष तुमको ,हमारी यही दुआ है ,

हमारे किए पुण्य कर्मों का ,फल मिले वीरों तुमको ,

यही दुआ है हमारी ,तुम्हें नमन है हमारा ,

तुम्हें सैल्यूट है हमारा ,तुम्हें सैल्यूट है हमारा | 

 

 

 

Friday, April 16, 2021

MUKTAK ( 01 )

 

       मुक्तक  ( 01  ) 


1)   होंठ  खुल सके उनके ,

लव्ज़ ना खिल सके उनके ,

ये दुनिया का ख्याल है ,

मेरे ख्याल में तो उनकी ,

नजरें ही सब कुछ कह गईं ,

क्या होता गर ? 

होंठ खुलते ,लव्ज़ खिलते ,

पर नजरें झुकी रहतीं | 


2 ) आए वो महफ़िल में ,

पलकें ना उठीं उनकी ,

झुकी हुई नज़रों से ही ,

दिल को घायल कर गए ,

ऐ दोस्त क्या होता गर ? 

वो पलकें उठा लेते | 


Thursday, April 15, 2021

KYON ? ( GEET )

          क्यों ?  


जाने के बाद क्यों ? 

   याद किसी की  आती है ,

       शमा बुझने से पहले ,

           क्यों झिलमिलाती है ? 

 

दो पल साथ गुजरे ,

   हर वक्त क्यों तड़पाते हैं ? 

      दो लव्ज साथ खिले ,

          हर वक्त क्यों तरसाते हैं ? 

             तड़प दिल में ख़ुशी से ,

                 क्यों बसाई जाती है ? 


होंठ खुलने ना पाए ,

  हिल के ही रह जाते हैं ,

      कुछ भी कह ना पाए ,

         सोच के ही रह जाते हैं ,

            नजर उठने के बाद ,

                क्यों झुकाई जाती है ? 


 

       

Wednesday, April 14, 2021

CHALE AAO ( GEET )

 

           चले आओ 


रात की जुल्फ़ बिखरी है ,

    मेरे साजन चले आओ ,

       मेरे दिल ने पुकारा है ,

            मेरे साजन चले आओ | 

 

कब तलक ये इंतजार और ,

           करूँ मैं ऐ  सनम ,       

कब तलक तड़प में डूबूँ और ,

          कह दो मेरे हमदम ,

खनक के चूड़ियाँ भी कहतीं हैं ,

         मेरे साजन चले आओ | 


मेरी जुल्फ़ें किसको दें ,

         घनी छाँव ये अपनी ,

मेरी नजरें किसको दें ,

        घनी ताजगी अपनी ,

उम्मीदों का ये फैला आँचल भी ,

        बुलाता है चले आओ ,

मेरे साजन चले आओ | 


Monday, April 12, 2021

KAAHE ? ( GEET )

 

          काहे ?


तेरी याद में हम तो तड़प गए ,

        काहे साजन परदेस गए ? 

एक झलक को नैना मेरे तरस गए ,

         काहे साजन परदेस गए ? 


ना याद आईं तुमको मुहब्बत की बातें ,

भुला दीं तुमने कैसे बीतीं वो रातें ? 

यादों में जिनकी हम तड़प गए ,

          काहे साजन परदेस गए ? 


बाँहों के बंधन खुल के पैन हैं दूरियाँ ,

तेरे मेरे बीच सजना कितनी मजबूरियाँ ,

फूलों के गुंचे भी तो चटक गए ,

          काहे साजन परदेस गए ?

Saturday, April 10, 2021

BAGIYA MERI ( GEET )

 

            बगिया मेरी 

 

बहुमंजलीय इमारत के फ्लैट में ,

बगीचा बनाना है मुश्किल दोस्तों ,

मगर वहाँ बगीचा बनाया हमने दोस्तों ,

छत पर गमले रख ,पौधे लगाकर ,

वो पौधे सजाए हमने दोस्तों | 

 

बहुत से थे पौधे ,तुलसी ,पुदीना ,नीम ,

एलोवेरा ,करी -पत्ता और थे फूलों वाले ,

सभी से हमें प्यार इतना था ,

कि हम उनकी देखभाल ,

अपने से ज्यादा करते थे दोस्तों | 

 

खिलते खूब फूल ,बगिया में हमारी ,

महसूस हमें होता ,हमारी यही हैं ,

गुलमर्ग की हसीन वादियाँ दोस्तों ,

तारों की छाँव में ,बगिया में अपनी ,

कुर्सी डालकर बैठना तो लाजवाब था दोस्तों | 

 

अपने पौधों से हम बातें करते थे दोस्तों ,

उनको छूने और बातें करने पर ,

लगता था वो भी जवाब दे रहे हैं दोस्तों ,

मेरे साथ वो भी मुस्कुरा रहे हैं दोस्तों | 

 

वो अहसास अनोखा था दोस्तों ,

आज वो बगिया छूट गई है दोस्तों ,

मगर उस जीवन का ,

उन खुश्बुओं का अहसास ,

अभी भी मेरे अंदर है दोस्तों ,

आज आपसे भी अपने दिल का ,

अहसास शेयर किया है दोस्तों | 

 

 

O,L,I,P,L ( ON LINE INDIYAN PRIMIAR LIG )

    ओ ,एल ,आई ,पी ,एल 

     ( ऑन लाइन इंडियन प्रीमियर लीग )


चलती ,हँसती दुनिया को ,रुला दिया कोरोना ने ,

हँसते ,गाते लोगों को ,रुला दिया कोरोना ने |


सभी काम ऑनलाइन हुए,क्या स्कूल,क्या शॉपिंग भाई?

मजा गया पढ़ाई का ,शॉपिंग भी वीरान हुई |


जन्म दिन ,शादी सभी ऑनलाइन ,

इंटरनेट गया तो सभी ऑफलाइन ,

बैठे भरोसे इंटरनेट के ,

चलो शुरू हुआ फिर से ऑनलाइन ,

आया है अब क्रिकेट मैच,खेलें कैसे ऑनलाइन हम?


चलो निकालते हैं तरीका ,इस खेल का ऑनलाइन हम ,

आए खिलाड़ी ए ,बी ,सी ,डी ,इ ,एफ ,जी ,एच ,आई ,जे ,के ,

एक टीम है ये तो भाई ,दूसरी टीम है ,

एक ,दो ,तीन ,चार ,पाँच ,छः ,सात ,आठ ,नौ ,दस ,ग्यारह |


एक टीम की बैटिंग है ,दूसरी की बॉलिंग ,फील्डिंग ,

सभी खिलाड़ी अपने -अपने कमरों में ,

ए ,बी की बैटिंग है भाई ,एक ,दो की बॉलिंग ,

पाँच बना है विकेट कीपर |


एक ने बॉलिंग की कमरे में ,ए ने बैट घुमाया अपना ,

बॉल कहाँ से घूमेगी ? पर ए ,बी ने दौड़ लगाई ,

दो रन लिए चार सेकंड में |


एक ओवर में रन लिए आठ ,

दूसरे ओवर में दो ने बॉलिंग अपनाई ,

रन लेते हुए बीच में ,छः ने एक छलांग लगाई ,

मानो कैच पकड़ा भाई ,ए आउट हो गया भाई |


करते -करते दस ओवर में ,लिए गए पचास रन भाई ,

सारे खिलाड़ी आउट भाई ,दूसरी टीम की बैटिंग आई ,

खेल -खेल में दूसरी टीम ,उत्साहित होकर खेली भाई ,

बावन रन बना कर दूसरी टीम ने ,

मैच को जीत लिया है भाई |


ऑनलाइन यदि क्रिकेट चलेगा ,ऐसा ही तो होगा भाई ,

अलग खिलाड़ी ,अलग हैं दर्शक ,

अलग मजा इस खेल का भाई ,

ये है हमारा -- ओ एल आई पी एल ,

( ऑन लाइन इंडियन प्रीमियर लीग ) ,

खेलो देखो कोरोना काल में |

Thursday, April 8, 2021

EK AAS ( GEET )

 

                 एक आस 

 

हर पल गुजरता जाता है ,

एक आस दामन में लिए ,मैं जीती जाती हूँ ,

ना पल कोई लौटा ,ना आस हुई पूरी ,

ये दिनबिट चले हैं ,जिंदगी पूरी हुई जाती है | 

 

मौसम के बदलने पर ,आस का धागा टूटता है ,

जुड़ जाता है ,वापस मगर ,

उसमें एक गाँठ सी पड़ जाती है ,

ना फूल ,ना कोई मोती ,

कुछ नहीं पिर सकता ,

गाँठ पर ही रुक जाता है ,

कैसे हार बनाऊँ प्रियतम ? 

कैसे तुम्हें पहनाऊँ प्रियतम ? 

 

Wednesday, April 7, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 07/04/2021 )

       

         डायरी मेरी सखि (07 /04 /2021 )

 

साल दर साल गुजरता जाता है ,समय बीतता जाता है ,

मौसम भी सभी बदलते हैं,हम ही एक मोड़ पे रुके रहते हैं |  


कब मुड़ेंगे हम ये जानें ना ,राहों को हम पहचानें ना ,

कौन बताएगा सही  राह ?हम हैं सब से अनजाने | 

 

समय का बहता दरिया है ,साथ में बहते जाना है ,

रुकना नहीं है संभव सखि ,साथ में बहते जाना है | 

 

अगर रुके तो वक्त ,चला जाएगा आगे सखि ,

बाँध नहीं सकता कोई ,वक्त की उड़ती पाँखें सखि | 

 

चलते - उड़ते जीवन अपना ,यूँ ही बीतता जाएगा ,

कुछ तेरी और कुछ मेरी ,आपबीती सुन पाएगा | 

 

लिखी ,सुनी सब बातें हैं ,तू याद सदा रखना मुझको ,

आगे भी जब समय मिलेगा ,मिलने आऊँगी तुझको | 

 

 

Monday, April 5, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 06/04/2021 )

 

  डायरी मेरी सखि ( 06 /04 /2021  )

 

कलम है मेरी चलती जाती ,मेरी बात बताती जाती ,

तू भी सखि मुस्कान के साथ,अपनी बात बतादे आज | 

 

चलते हैं समंदर बीच पे दोनों ,कभी समां प्यारा था ,

बयार चल रही थी ,समंदर में लहरें उछल रहीं थीं | 


काफी लोग थे वहाँ ,कुछ हमारे दाएँ ,कुछ बाएँ ,

लहर आई उछल कर ,भिगोया मुझको मचलकर | 


ना दाएँ वाले भीगे ,ना बाएँ वाले भीगे ,

भीगी बस मैं ही ,है ना अचरज की बात सखि | 


आज भी सोचकर ,दिल खुश होता सखि ,

समंदर भी मुझसे ,बहुत प्यार करता सखि | 



Sunday, April 4, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 05/04 /2021 )

 

         डायरी मेरी सखि ( 05 /04 /2021 ) 

 

कलम चलाऊँ मैं अपनी ,और दिल की बात बताऊँ ,

सुनती जा तू सखि मेरी ,किस्सा तुझे सुनाऊँ | 

 

 एक बार हम गए पिकनिक पर,कॉलेज के साथियों के संग, 

ऋषिकेश की गंगा किनारे ,हमने जमाया रंग | 


फिल्म की शूटिंग थी चलती,कलाकारों की अदाकारी,

हम सब को भायी थी तब ,वक्त की ये फुलकारी | 


नहीं पता था पहले हमको ,वहाँ होगी शूटिंग उस दिन ,

अचानक मिलने वाले सरप्राईज़ से हम तो हो गए दंग | 


जी भर कर शूटिंग देखी ,गाना जो गया वहाँ फिल्माया ,

बाद में सखि सुन बहुत ही दिल से ,हमने वो गाया ,गुनगुनाया | 

वो गाना था ------ 

"गंगा तेरा पानी अमृत ,झर -झर बहता जाए ,

युग -युग से इस देश की धरती ,तुझसे जीवन पाए |" 



Saturday, April 3, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 04/04/2021 )

 

 

      डायरी मेरी सखि (04 /04 /2021 ) 

 

समय चक्र है चलता जाता ,कितने बरस हैं बीत गए ?

रह मगर कितनी लंबी है ? जीवन की कोई जाने ना | 

 

हर पड़ाव के साथी अपने ,कुछ चले साथ ,कुछ बिछड़ गए ,

राहों के हर मोड़ पर , कुछ सीधे चले ,कुछ मुड़ गए | 

 

याद सभी की आती है ,कैसे मिल पाएँगे वो ? 

बुला नहीं सकते उनको ,पता नहीं छोड़ गए वो | 

 

सखि डायरी तू ही बता ,कैसे दूँ  आवाज उन्हें ? 

नंबर मेरे पास नहीं है ,कैसे मिलाऊँ फ़ोन उन्हें ? 

 

तू अगर हो जानती ,उनको हो पहचानती ,

तो आवाज दे बुला ले ,मुझसे उन्हें मिला दे | 

 

 

Friday, April 2, 2021

DAAYARI MERI SAKHI

 

           डायरी मेरी सखि 

 

डायरी ओ डायरी ,भायली है तू मेरी , 

बातचीत ना हुई ,कई दिन से तेरी मेरी | 


आज तो समय निकाल ,गपशप का री सखि ,

कई दिन की गप्पों को ,आज मार लें सखि | 


कल मुझे कोरोना वैक्सीन, की दूसरी डोज मिली ,

तू बता मुझको ,तूने लगवाई क्या सखि ? 

 

क्या कहा ? तूने नहीं लगवाई ,

मेरी सखि होकर ,तूने क्यों नहीं लगवाई ? 

 

चल जल्दी रजिस्ट्रेशन ,करा वैक्सीन के लिए ,

कोरोना से बचने का ,यही है उपाय सखि | 


हो गया रजिस्ट्रेशन ,वैक्सीन लगवाई ,

तू भी अब हो जाएगी ,सुरक्षित मेरी सखि | 


आगे भी दूसरी डोज ,समय पर लेना सखि ,

दूसरों को भी इसके लिए ,प्रेरित करना सखि |

 

 

Thursday, April 1, 2021

BAITHE HAIN ( GEET )

 

                      बैठे हैं 

 

वफ़ा की उम्मीद ,दामन में लिए बैठे हैं ,

मिलन की आस से ,दिल को सजाए बैठे हैं | 

 

ना जाने वो ,कभी आएँगे या नहीं ,

 हम अपनी नजरें ,राहों में बिछाए बैठे हैं | 


ना जाने वो हमें याद करते हैं,या भूल बैठे हैं,

हम उनकी याद का ,दीपक जलाए बैठे हैं |

SHRIDHHA SUMAN ( BHAG -- 2 )

   

        श्रद्धा सुमन  ( भाग -- 2 )

 

प्यास दूसरों की बढ़ती ,देख मेरा सुंदर प्याला ,

चाह रहे हैं पीना वो ,पीते देख मुझे हाला ,

छम -छम करती पास मेरे,आई है साकी बाला ,

 वो अपने संग लाई है ,सागर में भर मधुशाला | 


देख मेरे सुंदर प्याले को ,डोल गई मेरी हाला ,

बूँद -बूँद खुश्बु से ही ,डोल गई साकी बाला ,

मैं तो मस्त कलंदर जैसा ,बिना पिए ही वो हाला ,

मुझ को तो मदमस्त ही ,दिखती अपनी मधुशाला | 


मधुशाला में सबसे पहले,भरने वाला अपना प्याला,

 मिलने वाला सबसे पहले ,चंचल सी साकी बाला ,

घूँट-घूँट कर पिया था उसने,अपना वो मस्ती प्याला,

याद रखेगी उसे हमेशा ,उसकी अपनी मधुशाला |