Thursday, April 1, 2021

SHRIDHHA SUMAN ( BHAG -- 2 )

   

        श्रद्धा सुमन  ( भाग -- 2 )

 

प्यास दूसरों की बढ़ती ,देख मेरा सुंदर प्याला ,

चाह रहे हैं पीना वो ,पीते देख मुझे हाला ,

छम -छम करती पास मेरे,आई है साकी बाला ,

 वो अपने संग लाई है ,सागर में भर मधुशाला | 


देख मेरे सुंदर प्याले को ,डोल गई मेरी हाला ,

बूँद -बूँद खुश्बु से ही ,डोल गई साकी बाला ,

मैं तो मस्त कलंदर जैसा ,बिना पिए ही वो हाला ,

मुझ को तो मदमस्त ही ,दिखती अपनी मधुशाला | 


मधुशाला में सबसे पहले,भरने वाला अपना प्याला,

 मिलने वाला सबसे पहले ,चंचल सी साकी बाला ,

घूँट-घूँट कर पिया था उसने,अपना वो मस्ती प्याला,

याद रखेगी उसे हमेशा ,उसकी अपनी मधुशाला | 

 

 


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