श्रद्धा सुमन ( भाग -- 2 )
प्यास दूसरों की बढ़ती ,देख मेरा सुंदर प्याला ,
चाह रहे हैं पीना वो ,पीते देख मुझे हाला ,
छम -छम करती पास मेरे,आई है साकी बाला ,
वो अपने संग लाई है ,सागर में भर मधुशाला |
देख मेरे सुंदर प्याले को ,डोल गई मेरी हाला ,
बूँद -बूँद खुश्बु से ही ,डोल गई साकी बाला ,
मैं तो मस्त कलंदर जैसा ,बिना पिए ही वो हाला ,
मुझ को तो मदमस्त ही ,दिखती अपनी मधुशाला |
मधुशाला में सबसे पहले,भरने वाला अपना प्याला,
मिलने वाला सबसे पहले ,चंचल सी साकी बाला ,
घूँट-घूँट कर पिया था उसने,अपना वो मस्ती प्याला,
याद रखेगी उसे हमेशा ,उसकी अपनी मधुशाला |
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