चले आओ
रात की जुल्फ़ बिखरी है ,
मेरे साजन चले आओ ,
मेरे दिल ने पुकारा है ,
मेरे साजन चले आओ |
कब तलक ये इंतजार और ,
करूँ मैं ऐ सनम ,
कब तलक तड़प में डूबूँ और ,
कह दो मेरे हमदम ,
खनक के चूड़ियाँ भी कहतीं हैं ,
मेरे साजन चले आओ |
मेरी जुल्फ़ें किसको दें ,
घनी छाँव ये अपनी ,
मेरी नजरें किसको दें ,
घनी ताजगी अपनी ,
उम्मीदों का ये फैला आँचल भी ,
बुलाता है चले आओ ,
मेरे साजन चले आओ |
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