मुक्तक ( 02 )
1 )
एक ग़म -ए -जिंदगी ,तन्हा ,तन्हा ,तन्हा ,तन्हा ,
प्यार का आलम मिला ,तो सिर्फ लम्हा ,लम्हा ,
दर्द -ए -तन्हाई मिली ,ता -उम्र साथ दे गई ,
तेरी बेवफाई तो ,दिल का सुकून ले गई |
2 )
पलकों में उनकी हमें ,कई ख्वाब नजर आए ,
आँखें जो मिलीं उनसे ,सागर से उभर आए ,
अनजानी डोर के रिश्ते से ,बँध कर हम ,
पहुँचे जो पास उनके ,बुत -ए -पत्थर वो नजर आए |
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