Tuesday, April 20, 2021

MUKTAK ( 02 )( JIVAN )

 

       मुक्तक   (  02  ) 

1 )

  एक ग़म -ए -जिंदगी ,तन्हा ,तन्हा ,तन्हा ,तन्हा ,

प्यार का आलम मिला ,तो सिर्फ लम्हा ,लम्हा ,

दर्द -ए -तन्हाई मिली ,ता -उम्र साथ दे गई ,

तेरी बेवफाई तो ,दिल का सुकून ले गई | 

 2 ) 

पलकों में उनकी हमें ,कई ख्वाब नजर आए ,

आँखें जो मिलीं उनसे ,सागर से उभर आए ,

अनजानी डोर के रिश्ते से ,बँध कर हम ,

पहुँचे जो पास उनके ,बुत -ए -पत्थर वो नजर आए | 

 

 

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