Wednesday, April 7, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 07/04/2021 )

       

         डायरी मेरी सखि (07 /04 /2021 )

 

साल दर साल गुजरता जाता है ,समय बीतता जाता है ,

मौसम भी सभी बदलते हैं,हम ही एक मोड़ पे रुके रहते हैं |  


कब मुड़ेंगे हम ये जानें ना ,राहों को हम पहचानें ना ,

कौन बताएगा सही  राह ?हम हैं सब से अनजाने | 

 

समय का बहता दरिया है ,साथ में बहते जाना है ,

रुकना नहीं है संभव सखि ,साथ में बहते जाना है | 

 

अगर रुके तो वक्त ,चला जाएगा आगे सखि ,

बाँध नहीं सकता कोई ,वक्त की उड़ती पाँखें सखि | 

 

चलते - उड़ते जीवन अपना ,यूँ ही बीतता जाएगा ,

कुछ तेरी और कुछ मेरी ,आपबीती सुन पाएगा | 

 

लिखी ,सुनी सब बातें हैं ,तू याद सदा रखना मुझको ,

आगे भी जब समय मिलेगा ,मिलने आऊँगी तुझको | 

 

 

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