बैठे हैं
वफ़ा की उम्मीद ,दामन में लिए बैठे हैं ,
मिलन की आस से ,दिल को सजाए बैठे हैं |
ना जाने वो ,कभी आएँगे या नहीं ,
हम अपनी नजरें ,राहों में बिछाए बैठे हैं |
ना जाने वो हमें याद करते हैं,या भूल बैठे हैं,
हम उनकी याद का ,दीपक जलाए बैठे हैं |
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