डायरी मेरी सखि (04 /04 /2021 )
समय चक्र है चलता जाता ,कितने बरस हैं बीत गए ?
रह मगर कितनी लंबी है ? जीवन की कोई जाने ना |
हर पड़ाव के साथी अपने ,कुछ चले साथ ,कुछ बिछड़ गए ,
राहों के हर मोड़ पर , कुछ सीधे चले ,कुछ मुड़ गए |
याद सभी की आती है ,कैसे मिल पाएँगे वो ?
बुला नहीं सकते उनको ,पता नहीं छोड़ गए वो |
सखि डायरी तू ही बता ,कैसे दूँ आवाज उन्हें ?
नंबर मेरे पास नहीं है ,कैसे मिलाऊँ फ़ोन उन्हें ?
तू अगर हो जानती ,उनको हो पहचानती ,
तो आवाज दे बुला ले ,मुझसे उन्हें मिला दे |
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