Saturday, April 3, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 04/04/2021 )

 

 

      डायरी मेरी सखि (04 /04 /2021 ) 

 

समय चक्र है चलता जाता ,कितने बरस हैं बीत गए ?

रह मगर कितनी लंबी है ? जीवन की कोई जाने ना | 

 

हर पड़ाव के साथी अपने ,कुछ चले साथ ,कुछ बिछड़ गए ,

राहों के हर मोड़ पर , कुछ सीधे चले ,कुछ मुड़ गए | 

 

याद सभी की आती है ,कैसे मिल पाएँगे वो ? 

बुला नहीं सकते उनको ,पता नहीं छोड़ गए वो | 

 

सखि डायरी तू ही बता ,कैसे दूँ  आवाज उन्हें ? 

नंबर मेरे पास नहीं है ,कैसे मिलाऊँ फ़ोन उन्हें ? 

 

तू अगर हो जानती ,उनको हो पहचानती ,

तो आवाज दे बुला ले ,मुझसे उन्हें मिला दे | 

 

 

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