मेरे हमदम
तेरे पाँवों की आहट ,अब भी आती है मेरे हमदम ,
तेरी साँसों की गर्मी ,अब भी आती है मेरे हमदम |
कहने को दूरियाँ भी हैं , तन्हाईयाँ भी हैं ,
होने को इस जहां की ,रुसवाईयाँ भी हैं ,
पर तेरी बाँहों का हार ,अब भी पाती हूँ मेरे हमदम |
ये दूरियाँ ना होतीं ,तो कसक भी ना होती ,
तन्हाइयों की मीठी ,तड़प भी ना होती ,
रुसवाईयों में तेरा प्यार भी ,तो पाती हूँ मेरे हमदम |
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