Thursday, April 29, 2021

MERE HAMDAM ( GEET )

 

                 मेरे हमदम 

 

तेरे पाँवों की आहट ,अब भी आती है मेरे हमदम ,

तेरी साँसों की गर्मी ,अब भी आती है मेरे हमदम | 

 

कहने को दूरियाँ भी हैं , तन्हाईयाँ भी हैं ,

होने को इस जहां की ,रुसवाईयाँ भी हैं ,

पर तेरी बाँहों का हार ,अब भी पाती हूँ मेरे हमदम | 

 

ये दूरियाँ ना होतीं ,तो कसक भी ना होती ,

तन्हाइयों की मीठी ,तड़प भी ना होती ,

रुसवाईयों में तेरा प्यार भी ,तो पाती हूँ मेरे हमदम | 

 

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