पहिया समय का
काल यानि समय का पहिया ,
घूमता रहता है ,चलता रहता है ,
उसी के अनुसार नए मानव ,
आते रहते हैं ,जाते रहते हैं |
ईसा पूर्व बहुत समयपहले ,
अवतरित हुआ एक महापुरुष ,
हिंदुस्तान की सरजमीं पर जन्म लिया ,
एक पुण्यात्मा ने ,नाम था उसका चाणक्य |
बहुत बुद्धिशाली ,बहुत बलशाली ,
सच्चा देशभक्त ,देश पे जान देने वाला ,
कुशाग्र बुद्धि ,हिंदुस्तान का सच्चा हीरा ,
ऐसा था वह हमारा चाणक्य |
बहुत पढ़ाई करके ,
ज्ञान के भंडार को ,आत्मसात करके ,
उस समय विश्व विद्यालयों की स्थापना करके ,
ज्ञान के भंडार को हिंद के बच्चों में ,
वितरित करने का ,उनके ज्ञान के वृक्ष को ,
पल्लवित करने का श्रेय ,
चाणक्य महान को जाता है |
एक निर्दयी ,अत्याचारी राजा धनानंद को ,
हटाकर ,एक बुद्धिमान ,उगते सूर्य जैसा ,
उसको राजसिंहासन पर बैठाया ,
उसकी शक्तियों को पहचान ,
उनको विकसित कर ,प्रजा को सुखी बनाया |
कुछ ग्रन्थ लिखे, जिनमें अपने अंदर ,
दिल -दिमाग में पल्लवित ज्ञान को ,
उन ग्रंथों में उंडेलकर ,
आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोया |
किसी भी देश के राजा की योग्यता ,
राजा के कर्त्तव्य ,और अधिकार ,
चाणक्य ने वर्णित किए ,
जो एक राजा को जानने जरूरी थे |
चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री थे ,
करीब 25 शतक बीतने के बाद भी ,
आज भी उनका अर्थशास्त्र ,
एक प्रकाश -स्तंभ के समान खड़ा है |
देश की अर्थ -व्यवस्था कैसी हो ?
कैसे उसे लागू किया जाए ?
कैसे आगे बढ़ाया जाए ?
यही सब था चाणक्य का ,महान नजराना ,
आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए ,
देश की भावी संतानों के लिए |
जय हिंद ,वंदे मातरम |
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