खनक गईं
साजन दूर बसे फिर भी ये ,
बैरन चूड़ियाँ खनक गईं ,
चाहा सपनों में खो जाऊँ मैं पर ,
बैरन चूड़ियाँ खनक गईं |
याद आई है सावन की ,
परदेस गए उस साजन की ,
मन यादों में खोया था पर ये ,
बैरन चूड़ियाँ खनक गईं |
सारी रतिया बरसात हुई ,
प्रीतम से थीं दो बात हुईं ,
हम प्यार में डूब गए थे पर ये ,
बैरन चूड़ियाँ खनक गईं |
सुंदर सपना है आने का ,
साजन को यहाँ बुलाने का ,
शायद वो भी आ जाते पर ये ,
बैरन चूड़ियाँ खनक गईं |
No comments:
Post a Comment