मुक्तक ( 01 )
1) होंठ खुल सके उनके ,
लव्ज़ ना खिल सके उनके ,
ये दुनिया का ख्याल है ,
मेरे ख्याल में तो उनकी ,
नजरें ही सब कुछ कह गईं ,
क्या होता गर ?
होंठ खुलते ,लव्ज़ खिलते ,
पर नजरें झुकी रहतीं |
2 ) आए वो महफ़िल में ,
पलकें ना उठीं उनकी ,
झुकी हुई नज़रों से ही ,
दिल को घायल कर गए ,
ऐ दोस्त क्या होता गर ?
वो पलकें उठा लेते |
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