Monday, April 5, 2021

DAAYARI MERI SAKHI ( 06/04/2021 )

 

  डायरी मेरी सखि ( 06 /04 /2021  )

 

कलम है मेरी चलती जाती ,मेरी बात बताती जाती ,

तू भी सखि मुस्कान के साथ,अपनी बात बतादे आज | 

 

चलते हैं समंदर बीच पे दोनों ,कभी समां प्यारा था ,

बयार चल रही थी ,समंदर में लहरें उछल रहीं थीं | 


काफी लोग थे वहाँ ,कुछ हमारे दाएँ ,कुछ बाएँ ,

लहर आई उछल कर ,भिगोया मुझको मचलकर | 


ना दाएँ वाले भीगे ,ना बाएँ वाले भीगे ,

भीगी बस मैं ही ,है ना अचरज की बात सखि | 


आज भी सोचकर ,दिल खुश होता सखि ,

समंदर भी मुझसे ,बहुत प्यार करता सखि | 



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