Saturday, December 31, 2022

LAMHAA ( JIVAN )

 

 

                      लम्हा 


आता है लम्हा जाता है ,वक़्त गुजरता जाता है ,   

हर लम्हा तो दोस्तों हमारी ,यादों में बस जाता है | 


हर लम्हा दिल धड़काता है ,नए जज़्बात जगाता है ,

हमारी सारी सोच को ,लम्हा ही आगे बढ़ाता है | 


जिस लम्हे मुस्कान जगती है ,लम्हा भी मुस्काता है ,

प्यार के पौधे को ,लम्हा ही वटवृक्ष बनाता है | 


मुस्कानों की लड़ियाँ ,टाँग दो हर तरफ दोस्तों ,

मुस्कानें बिखर जाएँगी ,हर लम्हे में दोस्तों | 


मत गिनो कि कितने ,लम्हे हैं हमारे जीवन में ? 

गिन डालो दोस्तों ,लम्हों में कितना जीवन है ? 


KAARVAN DOSTI KAA ( JIVAN )

 

                            कारवां दोस्ती का 


बीत रहा है ये वर्ष भी ,कुछ घंटों के बाद तो ,

ये वर्ष भी बस जाएगा यादों में ,

जैसे अभी तक के वर्ष बसे हैं ,यादों में | 


एक -एक करके ,कितने ही वर्ष बीत गए हैं ?

ऐसे ही तो दोस्तों ,लंबी उम्र भी बीत गई है ,

सारी यादें बस गईं हैं दिल में | 


कुछ खट्टी ,कुछ मीठी यादें ,

कुछ उलझी , कुछ सुलझी यादें ,

कुछ याद रहीं , कुछ भूली यादें ,

कुछ अपनी ,कुछ अपनों की यादें | 


प्रतिलिपि के जरिए , आप सब से जुड़ने की यादें ,

कुछ नए दोस्त बनते गए ,मिलते गए ,

और ये दोस्ती का कारवां ,बढ़ता गया ,बढ़ता गया | 


Thursday, December 29, 2022

DHAARA JIVAN KI ( JIVAN )

 

                धारा जीवन की 


जीवन की राहें टेढ़ी -मेढ़ी ,ऊँची - नीची ,

कभी लगें सरल ,फिसलते हुए पार कर लो ,

मगर कभी लगता ,राहें पार करना कठिन | 


समय कभी दुःख देता तो लगता ,

हम कभी उस समय को ,पार ना कर पाएँगे ,

उलझ कर समय के ,चक्रव्यूह में रह जाएँगे | 


परिस्थितियों में फँसे ,हम कैसे निकलेंगे ? 

अपने ही दिल में ,चलते चक्रवात से ,

उसी चक्रवात का ,रास्ता बहुत कठिन है | 


मगर अचानक ,एक उजली किरन ,

एक ठंडी बयार ,कानों में मानो गुनगुनाई ,

होंठों पर मुस्कान उभर आई ,राहें बदल गईं | 


ये क्या हुआ ? किसने  किया ये सब ?

है ना एक अदृश्य शक्ति दोस्तों ? 

जो बदल गई जीवन - धारा | 


Tuesday, December 27, 2022

RAG - RAG MEIN ( JIVAN )

 

                            रग -रग में 


आज तो हम खो गए हैं दोस्तों ,

पता नहीं हम कहाँ हैं दोस्तों ? 


ढूँढो तो जरा हम हैं कहाँ ? 

क्या तुम्हारे दिल में बसे हैं हम ? 

क्या तुम्हारे विचारों में रचे हैं हम ? 


क्या कहा आपने दोस्तों ? 

तुम्हारे प्यार में बसे हैं हम ,

तुम्हारी मुस्कानों में बसे हैं हम ,

तुम्हारी दुआओं में बसे हैं हम | 


धन्यवाद दोस्तों ! हमारा पता बताने के लिए ,

बिना पते वाले हम ,

खोज में जुटे थे ईश्वर की ,

उसी का ठिकाना ढूँढ रहे थे ,

जब की वह तो हमारी रग - रग में रहता है | 


PRASAAD ( AADHYATMIK )

 

                                प्रसाद 


घटती रहती हैं घटनाएँ ,कुछ ख़ुशी देने वाली ,

और कुछ दुःखद ,करो तुम इतना ,

कि बदल दो ,दुःखद घटनाओं को | 


बदल सकने वाली तो ,बदल जाएँगी ,

मगर कुछ घटनाएँ ,नहीं बदलेंगी ,

दुःख ना मनाओ ,तुमने कोशिश तो की | 


ख़ुशी देने वाली घटनाएँ ,तो स्वीकार हैं तुम्हें ,

खुश हैं ना आप ,तो खुश रहो ,

जिंदगी खुशियों में डूब जाएगी | 


सब कुछ तो ,ऊपर वाले के हाथ में है ,

वही सारा ,घटना - चक्र चलाता है ,

तुम नहीं कर सकते  कुछ भी ,

कोशिशें तो ,तुमने कर ही लीं ना ? 

बस तो जो मिला ,वह प्रसाद है ,

वह प्रसाद है ,उसे माथे लगाओ | 

 

Monday, December 26, 2022

MUSKAAO ( GEET )

 

                            मुस्काओ 


खिला दो कण -कण में मुस्कान ,

प्यार की कलियाँ महकाओ ,

जीवन भर जाएगा खुशियों से ,

सभी को तुम जो हँसाओ | 


ये जग सारा रंगीं हो जाएगा ,

रंगों को तुम जो बिखराओ ,

चहक से दिल भी चहकेगा ,

तुम जो चहको और चहकाओ | 


मुस्काते तुम भी रहो दोस्तों ,

होंठों पे  मुस्कान तुम लाओ ,

मीठे संगीत से दिल भर जाएगा ,

अगर तुम कोई गीत गुनगुनाओ | 


राहों को गर जगमगाना हो ,

कोई तो दीप तुम जलाओ ,

गगन के तारों जैसे ही तुम ,

इस दुनिया में खूब जगमगाओ | 


Saturday, December 24, 2022

RUMM JAO ( AADHYATMIK )

 रम जाओ 


 रचनाकार ने ,जिंदगी दी अपनी रचनाओं को ,

तीन दिन दिए ,पहला दिन जन्म का ,तीसरा दिन मृत्यु का ,

बीच में था दूसरा दिन ,जो लंबा था ,

  उसकी रचनाएँ कुछ भी करके ,अच्छा या बुरा ,

कैसे भी उसे बिता सकती हैं ?

 

सब कुछ चुनना उन रचनाओं को है ,

प्यार ,विश्वास ,मुस्कानें बाँटें सभी को ,

या नफरत ,धोखा और आँसू बाँटें | 


सत्कर्म करके ,रचनाकार की मेहनत को ,

सफल करें और उसे धन्यवाद दें ,

या दुष्कर्म कर ,रचनाकार की मेहनत को ,

असफल करें और उसको दुःखी करें | 


रचनाकार का विश्वास जीत लो बंधु ,

उसकी  मेहनत सफल करो ,

दुनिया में प्यार ही प्यार फैलाओ ,

मुस्कानें फैलाओ ,

" वसुधैव कुटुंबकम " में रम जाओ || 


 

      

 

                                     



Friday, December 23, 2022

BHORR ( GEET )

 

                भोर 


नींद में डूबे तो ,सपनों की दुनिया ,

जिसका कोई ओर ना छोर ,

मन - मयूर उसमें उड़े ,

खिलखिलाता हुआ चहुँ ओर | 


अनजानी सी वह दुनिया ,

फैली है बिन डोर चहुँ ओर ,

अंतर्मन उड़ता जाता है ,

जैसे बँधी हो कोई अदृश्य डोर | 


सपने खट्टे - मीठे मिलते ,

कुछ मन को याद हैं रहते ,

कुछ को भूल जाते हैं हम ,

कुछ को याद कर नाचे मन का मोर | 


उस दुनिया में नई जगह हैं ,

कुछ जाने ,कुछ अनजाने चेहरे,

घूम - घूम कर ,देख -देख कर ,

आ जाती है सुंदर सी भोर | 

 

LABAALAB ( KSHANIKA )

  

                        लबालब

 

धन चाहे जितना भी कमाओ , 

मत उस धन के दरिया में डूब जाओ ,

सब अपनों का मान बढ़ाओ ,

सब अपनों के अपने बन जाओ | 


प्यार करो और प्यार ही बाँटो ,

डूबना है तो प्यार में डूब जाओ ,

प्यार से दूसरों की तकलीफें खरीद लाओ ,

और प्यार से दूसरों को सुकूं दे आओ | 


फिर देखो दोस्तों ,सभी अपने हैं ,

और तुम्हारा जीवन ,कितना सुकूं में डूबा है ,

इसी धन को जोड़कर दोस्तों ,

अपना अकाउंट लबालब कर लो |  


Wednesday, December 21, 2022

PAATH PREM KAA ( PREM )

 

                           पाठ प्रेम का 


एक - एक बूँद प्रेम की ,संचित कर लो बंधु ,

गिनती ना उन बूँदों की ,तुम करना बंधु ,

असंख्य बूँदें जब हों संचित ,परमात्मा मुस्कुराएगा | 


दोगे प्रेम दूजों को तो ,पाओगे प्रेम तुम भी ,

अपनों का प्रेम तो ,बसा है मुस्कुराहटों में ,

उनकी मुस्कुराहटें बढ़ा दो तो ,परमात्मा मुस्कुराएगा | 


नाता जग में प्रेम का ,है सबसे प्यारा ,

जिसने यह नाता निभा लिया ,वह बना सबका दुलारा ,

उसी को तो देखकर बंधु ,परमात्मा मुस्कुराएगा | 


आज ही ये नाता जोड़ो ,ना सोचो समय बहुत है ,

ना जाने क्या और कब ,कुछ बदले ? 

जो समय निकल गया तो ,परमात्मा कैसे मुस्कुराएगा ? 


Tuesday, December 20, 2022

SHISHY GURU KE ( KSHANIKA )

 

                 शिष्य  गुरु के 


कलम पकड़नी सिखाई गुरु ने ,

कलम से लिखना सिखाया गुरु ने ,

लिखे हुए को पढ़ना सिखाया गुरु ने ,

पढ़े हुए का अर्थ सिखाया गुरु ने | 


एक इमारत को विद्यालय बनाया गुरु ने ,

कुम्हार जैसे मिट्टी के मटके बनाता ,

बच्चों को विद्यार्थी बनाया गुरु ने ,

प्रणाम का अर्थ भी सिखाया गुरु ने | 


विद्यालय की फीस को ,

गुरु - दक्षिणा समझते थे सब ,

दक्षिणा का सही अर्थ बताया गुरु ने ,

जीवन को जिंदगी बनाया गुरु ने | 


काश ! आज वो गुरु फिर मिल जाते ,

तो हम कितना कुछ सीख जाते ? 

गीली मिट्टी के लोंदे से मटका बन जाते ,

गुरु के हम प्रिय शिष्य बन जाते | 


SANSKAAR ( KSHANIKA )

 

                  संस्कार 


बचपन के खेलों में ,लिया आनंद ,

बचपन के खेलों में ,जिया आनंद ,

बचपन के खेल अब ,हुए ख़त्म ,

शुरु हुआ अब ,किस्मत का खेल |

 

बचपन में मिले ,जो संस्कार ,

उनकी तो है , सबको दरकार ,

ईमानदारी ,सत्यवचन ,

भाईचारा और प्रेम -प्यार | 


कभी ना मिटने देना इनको ,

कभी ना अपनाना अहंकार ,

नहीं तो टूटेगा अपनापन ,

और छूट जाएँगे ,सभी संस्कार | 


Sunday, December 18, 2022

KHAATA PREM KAA ( PREM )

 

               खाता  प्रेम का 


बीज डालो प्रेम का ,पौधा नन्हा उग जाय ,

धीरे - धीरे वही पौधा ,बड़ा पेड़ बन जाय | 


भरा रहे पत्तों से ,फूल भी खूब खिलाय ,

फूल लग जाएँ जब बहुत ,पेड़ ही झुकता जाय | 


फैले खुश्बु चहुँ ओर ,मस्त सभी हो जाएँ ,

प्रेम भावना का खाता ,लबालब भर जाय | 


भरा रहे ये खाता ,प्रेम और प्यार से ,

खाली ना हो ये खाता ,खाद प्रेम की डाली जाय | 


Saturday, December 17, 2022

GAAGAR MEIN SAAGAR ( JIVAN )

 

             

    गागर  में सागर 


ना कुंडली का किया  मिलान ,

ना रक्त का बना संबंध ,

मगर चला ता उम्र ये रिश्ता ,

दोस्ती का भई दोस्ती का | 


ना दिन गिने दोस्ती में ,

ना महीने और ना ही साल ,

बीतता चला समय दोस्तों ,

अपने ही रास्ते और अपनी ही चाल | 


कोई भी समस्या अगर आई ,

याद हमें आई दोस्तों की ,

किसी  भी ख़ुशी ने प्रवेश किया जब ,

हुड़क उठी दिल से दोस्तों मिलन की | 


दोस्तों के प्रेम से तो ,

गागर भरी है अपनी ,

मगर ऐसा लगता है जैसे ,

सागर समाया  गागर में अपनी | 


Thursday, December 15, 2022

DAUDII JAATI ( GEET )

      

           दौड़ी जाती 


चली है नदिया बलखाती ,संगीत सुनाती ,इठलाती ,

तेज धार का रूप लिए ,प्यार सभी से जतलाती | 


सभी को प्यार से दे आवाज़ ,पास बुलाकर प्यार जताए ,

अपने जल से सभी को वह ,झर -झर कर भिगो ही जाती | 


धरा तेज है नदिया की ,साथ नहीं हम चल सकते ,

दौड़ -दौड़ कर भी हम तो पीछे ,वो आगे ही दौड़ी जाती | 


पकड़ नापाएँ उसको हम ,वो तो सरपट दौड़ लगाए ,

ऐसा हमें तो लगता है ,वो ओलिम्पिक में गोल्ड जिताती | 

 

Wednesday, December 14, 2022

SARAL ( AADHYAATMIK )

 

 

               सरल 


स्वभाव सबका अलग -अलग ,

किसी का है कठिन ,तो किसी का सरल ,

कोई  कठोर है दिल का ,

तो दूसरा है बहता हुआ तरल | 


तरल को रास्ता मिले तो ,

उधर ही बहता जाएगा ,

रास्ते में मिलने वालों को ,

अपने साथ में लेता जाएगा | 


जो कठोर है दिल का ,

वह तो दूजों का दिल दुखाएगा ,

मगर जो है सरल वह तो ,

दूजों के हिस्से का भी पी जाएगा गरल | 


जो पिएगा गरल वह तो ,

फिर भी जीवंत होगा ,

पी के गरल वह तो ,

शिव का अवतार कहलाएगा |  


Sunday, December 11, 2022

SANSAAR ( JIVAN )

   

 

                           संसार 


दोस्तों से भरा संसार है ,

उनमें से कुछ हमने चुने ,कुछ तुमने चुने ,

दोस्ती की राह में ,

कुछ हम भी बढ़े ,कुछ तुम भी बढ़े | 


रिश्तों से भरा संसार है ,

उनमें से ना हमने चुने ,ना तुमने चुने ,

ईश्वर के बनाए रिश्तों में ,

कुछ हमने निभाए ,कुछ तुमने निभाए | 


हरा -भरा ये संसार है ,

जो सारा का सारा ही ,ईश्वर ने बनाया ,

ईश्वर की बनाई हरियाली को ,

किसी ने उसे संवारा ,किसी ने उसे बिगाड़ा | 


ईश्वर की बनाई धरा पर ,

अनेक सरहदें खींची गईं ,बँटवारे किए गए ,

सँवारने वालों ने सुंदर किया धरा को ,

बिगाड़ने वालों ने ,प्रलय को बुलाया | 


Saturday, December 10, 2022

CHAURAHA JINDGI KA ( JIVAN )

 

                चौराहा जिंदगी का 


शहरों में जो सड़कें बनती हैं ,

उनमें कई मोड़ ही मुड़ते हैं ,

कई मोड़ों के मिलने से ही ,चौराहे भी बन जाते हैं | 


जीवन भी एक सड़क ही तो  है ,

मोड़ों की यहाँ भरमार है ,

पर कहीं -कहीं इन मोड़ों में ,चौराहे ही बन जाते हैं | 


कई बार परिस्थितियों की खातिर ,

हम सब खड़े वहाँ रह जाते हैं ,

जहाँ पर एक-दो नहीं दोस्तों,चार-पाँच रास्ते जाते हैं | 


तब समझ नहीं आता है हमें ,

किस ओर और कहाँ हम जाएँ ? 

किस मोड़ से मिलेगी मंजिल हमें ?सुकूँ कहाँ पा जाते हैं? 


यदि गलत मोड़ आता है तो ,

बर्बाद वो तो कर जाएगा ,

नहीं पाएँगे मंजिल हम ,सुकूँ भी नहीं पा सकते हैं | 

 

कैसा है चौराहा जिंदगी का ? 

काश यहाँ लिखा होता ,

आराम कहाँ मिल सकता है ?सुकूँ कहाँ मिल सकता है ? 

 

Wednesday, December 7, 2022

VISHVAAS ( JIVAN )

 

                         विश्वास 


रिश्ते सभी टिकते हैं बंधु ,आपसी विश्वास पे ,

विश्वास गर है गहरा ,रिश्ता भी होता गहरा ,

विश्वास गर ना हो तो ,रिश्ता भी ढह गया ,

इसीलिए तो बंधु ,विश्वास दे दो तुम ,विश्वास ले लो तुम | 


विश्वास ही है जिसने ,प्रतिमा को  माना ईश्वर ,

विश्वास के जरिए ही ,पत्थर में प्राण फूँके ,

विश्वास के होने से ,आस्था सभी में जागी ,

विश्वास की ही अँगुली को ,चल दो पकड़ के तुम | 


विश्वास है तो बंधु ,प्यार भी पलता है ,

विश्वास के होने से ,साथ भी चलता है ,

विश्वास तुम कर लो तो ,विश्वास भी मिलेगा ,

अन्यथा सोचो तो जरा ,कोई विश्वास क्यों करेगा तुम पे ? 


विश्वास एक पहिया ,जो दुनिया को चलाए ,

विश्वास का ही बंधन ,एक दूसरे को साथ बाँध पाए ,

बंधु बँध जाओ इस बंधन में भी तुम ,

बंधु बँध जाओ इस बंधन में भी तुम | 


MANN ( JALAD AA )

 

               

   मन  (  जलद आ )


खुशियों में मन बावरा ,झूमे ,नाचे ,गाए  ,

मगर देख दुःख की छाया ,मुरझाए ,अकुलाए | 


बदरा जैसा मन मेरा ,पवन संग उड़ जाए ,

चमके जब -जब दामिनी ,जोर से शोर मचाए | 

 

मन की पीड़ा मन ही जाने ,ना जाने दुनिया सारी ,

तेरा मन या मेरा  मन हो ,क्यों पीड़ा से हो भारी ? 


मन की पीड़ा समझे बदरा ,मन जब अश्रु बहाए ,

बदरा का भी दिल पिघले ,छम -छम नीर बहाए | 


बरखा बरसे धरा तृप्त ,मन भी ठंडक पाए ,

तृप्ति का आभास ही ,मन को सुखी बनाए | 


Sunday, December 4, 2022

GUNGUNAAO ( GEET )

  

                       गुनगुनाओ 


जिंदगी की हदों को पार करके ,

बेहद प्यार छलका दो दोस्तों ,

हदें तो होती हैं देशों के बीच ,

उन्हें पार कर जाओ तुम दोस्तों | 


दुनिया जब बनाई उस रचेता ने ,

कोई हद ना उसने तो देखी ,

बेहद दुनिया की रचना की उसने ,

सारी हदें तो मानव ने ही खींचीं | 


खूबसूरती देख दुनिया की ,

मानव बहुत ही मुस्काया ,

प्रकृति ने मुस्कान देखी मानव की ,

खुद को बहुत खिलखिलाया | 


दोस्त बन सभी को प्रेम करो ,

यही सब रचेता  प्रकृति ने सिखाया ,

इस सीख को सदा याद रखो तुम ,

प्रेम भी तो तभी छलछलाया | 


जो जिंदगी मिली है ,है बहुत सुंदर ,

इसलिए तुम सदा गुनगुनाओ ,

सभी के ऊपर तुम प्यार का ,

सदा संगीत सरसराओ |

Thursday, December 1, 2022

ANDAR ( CHANDRAMA )

 

                अंदर  (चंद्रमा )


रात को जब चाँद चमका ,

झाँका  खिड़की से अंदर ,

हमने जब बुलाया मुस्का के ,

आया वो तब खिड़की से अंदर | 


हम दोनों की शुरु हुईं जब बातें ,

हमने कीं वो सारी बातें ,

इतने दिन से जो बातें ,

दबीं थीं दिल के अंदर | 


कहा चाँद ने हमसे तब ,

कई बार देखा करता था ,

मैं तुमको मेरी सखि ,

पर जगा ना पाया मैं तुमको ,

डूबीं थीं तुम निंदिया के अंदर | 


मैं बोली तब मेरे दोस्त ,

रोज़ झाँकती थी मैं खिड़की से ,

रोज़ ढूँढती थी सखा को अपने ,

मगर ना जाने कहाँ गुमे थे ?

कभी दिशा कुछ दूसरी होती ,

कभी शायद बदरा के अंदर |