खाता प्रेम का
बीज डालो प्रेम का ,पौधा नन्हा उग जाय ,
धीरे - धीरे वही पौधा ,बड़ा पेड़ बन जाय |
भरा रहे पत्तों से ,फूल भी खूब खिलाय ,
फूल लग जाएँ जब बहुत ,पेड़ ही झुकता जाय |
फैले खुश्बु चहुँ ओर ,मस्त सभी हो जाएँ ,
प्रेम भावना का खाता ,लबालब भर जाय |
भरा रहे ये खाता ,प्रेम और प्यार से ,
खाली ना हो ये खाता ,खाद प्रेम की डाली जाय |
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