मन ( जलद आ )
खुशियों में मन बावरा ,झूमे ,नाचे ,गाए ,
मगर देख दुःख की छाया ,मुरझाए ,अकुलाए |
बदरा जैसा मन मेरा ,पवन संग उड़ जाए ,
चमके जब -जब दामिनी ,जोर से शोर मचाए |
मन की पीड़ा मन ही जाने ,ना जाने दुनिया सारी ,
तेरा मन या मेरा मन हो ,क्यों पीड़ा से हो भारी ?
मन की पीड़ा समझे बदरा ,मन जब अश्रु बहाए ,
बदरा का भी दिल पिघले ,छम -छम नीर बहाए |
बरखा बरसे धरा तृप्त ,मन भी ठंडक पाए ,
तृप्ति का आभास ही ,मन को सुखी बनाए |
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