गागर में सागर
ना कुंडली का किया मिलान ,
ना रक्त का बना संबंध ,
मगर चला ता उम्र ये रिश्ता ,
दोस्ती का भई दोस्ती का |
ना दिन गिने दोस्ती में ,
ना महीने और ना ही साल ,
बीतता चला समय दोस्तों ,
अपने ही रास्ते और अपनी ही चाल |
कोई भी समस्या अगर आई ,
याद हमें आई दोस्तों की ,
किसी भी ख़ुशी ने प्रवेश किया जब ,
हुड़क उठी दिल से दोस्तों मिलन की |
दोस्तों के प्रेम से तो ,
गागर भरी है अपनी ,
मगर ऐसा लगता है जैसे ,
सागर समाया गागर में अपनी |
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