पाठ प्रेम का
एक - एक बूँद प्रेम की ,संचित कर लो बंधु ,
गिनती ना उन बूँदों की ,तुम करना बंधु ,
असंख्य बूँदें जब हों संचित ,परमात्मा मुस्कुराएगा |
दोगे प्रेम दूजों को तो ,पाओगे प्रेम तुम भी ,
अपनों का प्रेम तो ,बसा है मुस्कुराहटों में ,
उनकी मुस्कुराहटें बढ़ा दो तो ,परमात्मा मुस्कुराएगा |
नाता जग में प्रेम का ,है सबसे प्यारा ,
जिसने यह नाता निभा लिया ,वह बना सबका दुलारा ,
उसी को तो देखकर बंधु ,परमात्मा मुस्कुराएगा |
आज ही ये नाता जोड़ो ,ना सोचो समय बहुत है ,
ना जाने क्या और कब ,कुछ बदले ?
जो समय निकल गया तो ,परमात्मा कैसे मुस्कुराएगा ?
No comments:
Post a Comment