संस्कार
बचपन के खेलों में ,लिया आनंद ,
बचपन के खेलों में ,जिया आनंद ,
बचपन के खेल अब ,हुए ख़त्म ,
शुरु हुआ अब ,किस्मत का खेल |
बचपन में मिले ,जो संस्कार ,
उनकी तो है , सबको दरकार ,
ईमानदारी ,सत्यवचन ,
भाईचारा और प्रेम -प्यार |
कभी ना मिटने देना इनको ,
कभी ना अपनाना अहंकार ,
नहीं तो टूटेगा अपनापन ,
और छूट जाएँगे ,सभी संस्कार |
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