प्रसाद
घटती रहती हैं घटनाएँ ,कुछ ख़ुशी देने वाली ,
और कुछ दुःखद ,करो तुम इतना ,
कि बदल दो ,दुःखद घटनाओं को |
बदल सकने वाली तो ,बदल जाएँगी ,
मगर कुछ घटनाएँ ,नहीं बदलेंगी ,
दुःख ना मनाओ ,तुमने कोशिश तो की |
ख़ुशी देने वाली घटनाएँ ,तो स्वीकार हैं तुम्हें ,
खुश हैं ना आप ,तो खुश रहो ,
जिंदगी खुशियों में डूब जाएगी |
सब कुछ तो ,ऊपर वाले के हाथ में है ,
वही सारा ,घटना - चक्र चलाता है ,
तुम नहीं कर सकते कुछ भी ,
कोशिशें तो ,तुमने कर ही लीं ना ?
बस तो जो मिला ,वह प्रसाद है ,
वह प्रसाद है ,उसे माथे लगाओ |
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