चंचल सागर
छल -छलाता सागर आया ,लहरों का रेला सा आया ,
मुस्कानों का मेला आया |
सागर की लहरों ने पुकारा ,आओ ,आओ पास हमारे ,
हाथ थाम कर हमें बुलाया |
साथ चल पड़ी मैं उनके ,कदम -कदम थे साथ चले ,
मुस्कानों ने दिल भरमाया |
सागर रहता शांत सदा ,उसमें ना तूफ़ान कभी ,
मगर आज चंचल बन आया |
दोस्त सदा थी सागर की ,सागर भी तो दोस्त रहा ,
आज उसने यूँ हमें बुलाया |