वही जाने ?
घूम रहा है ,समय का पहिया ,
गया पुराना ,नया है आया ,
सबको ही तो ,इसने दोस्तों ,
अपना हरेक ही ,रूप दिखाया |
जैसे पतझड़ में ,झड़ते जाते हैं पुराने पत्ते ,
ले लेते हैं उनकी जगह ,नए और कोमल पत्ते |
उसी तरह इस जीवन में ,संघर्ष भरे दिन आते हैं ,
और उन्हीं के बाद दोस्तों ,अच्छे दिन भी आ जाते हैं |
मत सोचो कब ,क्या हुआ ?
मत सोचो कब और क्या होगा ?
ईश्वर की जो मर्जी होगी ,वही सब तो हर पल होगा ,
हम नहीं जानते ,
हमारे लिए क्या ,कुछ अच्छा होगा ?
ईश्वर ही तो जाने दोस्तों ,हमारे लिए क्या अच्छा होगा ?
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