उम्मीदें
उम्मीदें बनाए रखो ,तभी मिलेगा भोर का उजाला ,
उसी उजाले में मुस्कान खिलीं रहेंगी ,
उसी से सजी रहेगी ,खुशियों की माला |
उम्मीदों की चाभी से ही ,खुलेगा सुखों का ताला ,
सुख में डूबकर ही तो ,
चैन की नींद का होगा बोलबाला |
उम्मीदों के रंगों से ही ,इंद्रधनुष छाएगा ,
जिंदगी का आसमान ,रंगीन हो जाएगा |
उम्मीदें दूसरों से ना बनाना कभी ,
टूट -टूट कर बिखर जाएँगी ,
उम्मीदें अपने दिल में जगाए रखो ,
तभी तो आत्मा खिलखिलाएगी |
उम्मीदों की ज्योति ही ,
हमारे मन - मंदिर में जगमगाएगी ,
तभी तो दुनिया सारी ,
सुंदर से सुंदरतम बन जाएगी |
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