बिना चाँदनी ( चंद्रमा )
चाँद तू चमकता है गगन में ,चाँदनी भेजे धरा पर ,
चाँदनी में नहाकर ,धरा जगमग होती है ,
रात के अंधकार में भी ,धरा चमकती जाती है |
चाँदनी है दोस्त तेरी ,तू तो है मेरा सखा ,
चाँदनी भी बन गई है सखि मेरी ,
हम तीनों ही हैं ,दोस्त एक दूजे के |
चंदा तेरा वज़ूद है चमकता ,चाँदनी से ,
चंदा तेरा जीवन है पलता ,चाँदनी से ,
चंदा तेरी मुस्कान खिलती , चाँदनी से |
जो चाँदनी ना हो ,तो कैसा वज़ूद तेरा ?
जो चाँदनी ना हो ,तो कैसा जीवन तेरा ?
जो चाँदनी ना हो ,तो मुस्काना कैसा ?
हम सोच भी नहीं सकते चंदा ,
चाँदनी के बिना चंदा , चाँदनी के बिना चंदा |
असंभव ,असंभव , असंभव |
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