मुस्कुरा दो
हवा जब धीमी चली ,तो बयार कहलाई ,
जब वही तेज चली ,तो आँधी कहलाई ,
कुछ और तेज होने पर ,तो वही तूफ़ान कहलाई |
इसी तरह हमारे अंदर ,मन की उलझनें ,
जब बढ़ीं तो ,तनाव कहलाईं ,
तनाव जब बढ़ा तो ,क्रोध में बदल गया ,
वही क्रोध जब फूटा ,तो ज्वालामुखी बन गया |
क्रोध और तूफ़ान ,दोनों ने क्या किया ?
बाद में चला पता,तूफ़ान ने ,
शहर के शहर ,गाँव के गाँव उजाड़ दिए ,
क्रोध ने , रिश्तों को रौंद डाला ,
प्रेम और प्यार की ,हत्या कर डाली |
बचो इस क्रोध से दोस्तों ,
मत पालो तनावों को दोस्तों ,
सुलझा लो ,सभी उलझनों को दोस्तों ,
मुस्कुरा दो दोस्तों , मुस्कुरा दो दोस्तों ||
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