बिना दामिनी
दामिनी ने दी, रंगीन किनारी बदरा को ,
दामिनी ना होती तो , बदरा कैसा होता ?
कोई ना किनारा ,फैला चहुँ ओर ,
कोई ना आकार ,कैसे बने चित्र साकार ?
दामिनी ना होती तो ,बदरा कैसा होता ?
काला -काला ,कहीं हल्का ,कहीं गहरा ,
चमकीले रंग का ,किनारा दिया दामिनी ने ,
सुंदरता का नया मापदंड ,दिया दामिनी ने |
शांत सा बदरा ,जल - वाष्प से बना बदरा ,
पवन संग ,आकाश में उड़ता रहता ,
कुछ ना बोलता ,कुछ ना गुनगुनाता ,
शाँति से उड़ता ,मानो बहता रहता |
दामिनी ने दिया ,कड़क भरा शोर उसको ,
जो धरा के ,लोगों को भी डरा दे ,
बिना दामिनी ,बदरा क्या और कैसा होता ?
जरा सोचो तो ,जरा सोचो तो |
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