उड़ानें
संघर्षों से ही उड़ानें भरी जाती हैं ,
कुछ -कुछ ऊँचाइयाँ पार की जाती हैं ,
उन्हीं को देखकर तो आसमान भी ,
कुछ नीचे को उतर आता है ,
हँस के कहता है ,"आओ मुझे छू लो "|
वही आसमान तो सच्चा दोस्त है बंधु ,
जो हमारे संघर्ष को देख ,साथ देता है ,
यही रिश्ता तो हमारे दिल में ,
हमारी रूह में उतर जाता है ,
तभी तो हम भी उसे कहते हैं ,
" आ जाओ ,आकर हमारी बाँहों में झूलो | "
बड़ी किस्मत से ऐसे दोस्त मिलते हैं ,
जो दोस्ती निभाने के लिए ,
अपने आसन से उतर आते हैं ,
थाम कर हाथ अपने दोस्तों का ,
अपने आसन तक उन्हें ले जाते हैं |
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