कैसे ?
रहस्यों भरी दुनिया उसकी ,ना जाने रचा उसने कैसे ?
कितने साँचे उसने बनाए ? तब ये दुनिया का रूप बनाया |
हम तो ना समझे बंधु ,क्या तुम समझे ?
जो तुम समझे ,तो हमें भी समझाओ |
अलग -अलग अक्स हैं ,इस पूरी दुनिया में ,
अलग -अलग सोच हैं , इस पूरी दुनिया में |
हर रचना में अलग रंग हैं ,अलग स्वाद हैं बंधु ,
हरा ,नीला ,पीला ,लाल रंग ,
और स्वाद खट्टा ,मीठा ,फीका है,
एक इंद्रधनुष में जड़ दिए हैं ,उसने सात रंग बंधु |
कैसे रचाई उसने ,इतनी सुंदर दुनिया ?
कैसे खिलाईं उसने ,इतनी सुंदर कलियाँ ?
कैसे भर दीं उसने ,आँखों में चमक इतनी ?
कैसे भर दीं उसने ,होंठों में मुस्कान इतनी ?
कैसे ? नहीं पता किसी को बंधु |
No comments:
Post a Comment