रात बनाम दिन
नींद की गहराइयों में ,डूब गए जब हम ,
रातों की लंबाई ,बहुत अच्छी लगने लगी ,
ख्वाबों की मुस्कुराहटें ,जब बढ़ गईं तो ,
रातों की तनहाइयाँ , बहुत अच्छी लगने लगीं |
ख्वाबों को पूरा करने की ,हसरतों ने जब जन्म लिया ,
दिन की लंबाई भी ,बहुत कम सी लगने लगी ,
ख्वाब जब धीरे - धीरे ,पूरे होने लगे ,
दिन की उदासियाँ भी ,मुस्कुराहटों में बदलने लगीं |
इन्हीं रात और दिन ,के चलने से तो दोस्तों ,
जिंदगी की राहें ,चलती जाती हैं ,
इन्हीं पहियों द्वारा तो ,जिंदगी की गाड़ी ,
सभी तरह के रास्तों पर ,दौड़ी ही तो चली जाती है |
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