मिट्टी से
मिट्टी का एक मटका ,और मिट्टी की एक सुराही ,
ख़ुशी - ख़ुशी थे बातें करते ,हँसते और मुस्काते |
मानव ने देखा तो बोला ,क्या बात है बंधु ?
क्यों इतने खुश हो दोनों ?
गर्म -गर्म से मौसम में भी ,खुश होते हो दोनों ?
कैसा भी मौसम हो भाई ? हम दोनों तो खुश रहते ,
हम तो बने हैं मिट्टी से ,हम तो ठंडे रहते ,
दूजों को भी हम तो भाई ,ठंडक ही ठंडक देते |
भूत ,भविष्य और वर्तमान ,सभी तो जुड़ा है मिट्टी से ,
तभी तो हम खुश होकर ,सबको खुश कर देते |
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