Tuesday, January 31, 2023

CHANCHAL SAAGAR ( RATNAKAR )

 

                  चंचल सागर 


छल -छलाता सागर आया ,लहरों का रेला सा आया ,

मुस्कानों का मेला आया | 


सागर की लहरों ने पुकारा ,आओ ,आओ पास हमारे ,

हाथ थाम कर हमें बुलाया | 


साथ चल पड़ी मैं उनके ,कदम -कदम थे साथ चले ,

मुस्कानों ने दिल भरमाया | 


सागर रहता शांत सदा ,उसमें ना तूफ़ान कभी ,

मगर आज चंचल बन आया | 


दोस्त सदा थी सागर की ,सागर भी तो दोस्त रहा ,

आज उसने यूँ हमें बुलाया | 


No comments:

Post a Comment