सुंदर जीवन
मन का मेल किसी से ,हो जाता नहीं यूँ ही बंधु ,
मन के मुताबिक जब कोई ,मिल जाता है बंधु ,
मगर कैसे मिलेगा कोई ? मन के मुताबिक बंधु ,
हमें भी तो ढलना पड़ता है ,
उसके मन के मुताबिक बंधु |
अपनेपन के धागों से ,बुनने और सिलने पर ही ,
हम ऐसा कोई इंसान ,ढूँढ सकते हैं बंधु ,
जो हमारे मन मुताबिक हो ,
और हम जिसके मन मुताबिक हों |
अधिक खोजबीन की जरूरत नहीं बंधु ,
जो कुछ हमारे पास है ,वही सबसे बेहतर है ,
अगर हम समझ जाएँ ,तो जीवन सुंदर बन जाएगा |
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