बंसी
कान्हा तेरी बंसी की ,मीठी सी तान रे ,
राधा ,राधा ,राधा ,पुकारे ये नाम रे |
चारों दिशाओं को गुंजाया इसने ,
सबके दिलों को धड़काया इसने ,
लाई ये सबके होठों पर ,मीठी सी मुस्कान रे |
सारी की सारी गोपियाँ ,दीवानी इसकी ,
गोपियाँ ही क्या सारी दुनिया ? दीवानी इसकी ,
तभी तो सभी इस बंसी पर ,छिड़कते हैं जान रे |
आजा कान्हा ,बंसी बजा के ,मीठी सी तान सुना दे रे ,
हमें भी दीवाना बना दे ,मीठी सी तान सुना दे रे ,
हम भी तो छिड़का दें ,बंसी पे अपनी जान रे ||
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