सत्कर्म
जग में आए खाली हाथ ,हाथ पसारे जाएँगे ,
ना कुछ लेकर आए थे ,ना कुछ लेकर जाएँगे ||
उसने दिया भाग्य में लिख कर ,
वही पा लिया हमने जग में ,
जीवन की बगिया में सुंदर ,कर्म के फूल खिलाए हमने ||
सत्कर्मों से जीवन महका ,
मुस्कानें फैली चारों ओर ,
कुछ खुश्बुओं के ,कुछ मुस्कानों के ,
रंग बिखर गए चारों ओर ||
जब सब यूँ मुस्काए तो ,
भाग्य - विधाता भी मुस्काया ,
उसने ही सबके लिए ,प्यार और आशीर्वाद बरसाया ||
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