Wednesday, October 4, 2023

NAMKEEN JAL ( RATNAAKAR )

 

                               नमकीन  जल  


गिरी शिखरों पर हिम बरसा ,खूब घना ,

शिखरों पर हिम की पर्त चढ़ी ,खूब घनी ,

शीशे से शिखर चमक उठे ,

रवि - किरणों ने उन्हें चमकाया ,

साथ ही गर्मी से पिघलाया ,

एक धार बनी ,उतर चली ,शिखर से नीचे को | 


आस -पास के शिखरों से भी ,जल धार उतर चलीं ,

उतरते हुए मिलीं धाराएँ ,बनी बड़ी जलधार ,

नाम मिला नदिया ,नदिया का वेग बढ़ चला ,

उछलती ,कूदती पहुँची ,नीचे मैदानी क्षेत्र में | 


अपने किनारों पर ,हरियाली फैलाती ,

भूमि उपजाऊ बनाती ,मधुर संगीत सुनाती ,

जल - जीवों को आश्रय देती ,नदिया दौड़ चली | 


मानव ने नदिया के जल का ,उपयोग खूब किया ,

उसे माता कहकर ,पूजा ,अर्चना की ,

दौड़ते -दौड़ते नदिया ,सागर तक पहुँच गई ,

और झट से सागर में समा गया | 

 

सागर से मिल ,नदिया का मीठा जल भी ,

नमकीन हो गया ,नमकीन हो गया ,

हाय रे ,पीने लायक नहीं रह गया ,

सागर वो मीठापन तूने क्या किया ? 

तूने किसको दिया वो मीठापन ? 


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