Friday, October 27, 2023

DHARAA BADAL GAI ( JIVAN )

 

                  धरा बदल गई 


धरा बनी जब अपनी दोस्तों ,क्या हम थे तब ? 

धरा का रूप बना था कैसा ? 

क्या तुम जानो ? क्या हम जानें ? 


आग का गोला थी ,तब धरा हमारी ,

बादल बने ,बरखा हुई ,

धीरे - धीरे धरा ठंडी हुई ,

तब ठोस चट्टानों का रूप लिया ,

उन चट्टानों के बीच - बीच में ,पानी इकठ्ठा हुआ || 


उन बड़ी चट्टानों के टुकड़े बने महाद्वीप ,

बीच में जमा पानी के स्रोतबने महासागर ,

धीरे - धीरे उपजा जीवन ,महासागर मुस्काए ,

कुछ देर बाद यही जीवन ,पहुँचा महाद्वीप में || 


समय बीतता चला ,धीरे - धीरे कदम बढ़े ,

रूप बदलता गया ,मानव ने तब जन्म लिया ,

मानव की सोच चली ,और फिर दौड़ी ,

सारी धरती बदल गई ,उसने आज का रूप लिया ,

आज क्या मानव ,लाखों साल पहले की ,

धरा के रूप को ,सोच में ला सकता है ? 


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