धरा बदल गई
धरा बनी जब अपनी दोस्तों ,क्या हम थे तब ?
धरा का रूप बना था कैसा ?
क्या तुम जानो ? क्या हम जानें ?
आग का गोला थी ,तब धरा हमारी ,
बादल बने ,बरखा हुई ,
धीरे - धीरे धरा ठंडी हुई ,
तब ठोस चट्टानों का रूप लिया ,
उन चट्टानों के बीच - बीच में ,पानी इकठ्ठा हुआ ||
उन बड़ी चट्टानों के टुकड़े बने महाद्वीप ,
बीच में जमा पानी के स्रोतबने महासागर ,
धीरे - धीरे उपजा जीवन ,महासागर मुस्काए ,
कुछ देर बाद यही जीवन ,पहुँचा महाद्वीप में ||
समय बीतता चला ,धीरे - धीरे कदम बढ़े ,
रूप बदलता गया ,मानव ने तब जन्म लिया ,
मानव की सोच चली ,और फिर दौड़ी ,
सारी धरती बदल गई ,उसने आज का रूप लिया ,
आज क्या मानव ,लाखों साल पहले की ,
धरा के रूप को ,सोच में ला सकता है ?
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