Tuesday, October 10, 2023

SOCH HAMAARI ( SAMAJIK )

 

                       सोच  हमारी 


जीवन जब दिया उसने ,सब कुछ जग में दिया उसने ,

दिल में प्यार दिया उसने ,हर रिश्ता भी दिया उसने ,

हमने कैसे निभाया सबको ? ये सोच हमारी है | 


राहें सुंदर - सी दीं उसने ,कदम दिए आगे बढ़ने को ,

मंजिलें बनाईं सब उसने ,मेहनत तो हमने करनी थी ,

कोशिशें कीं क्या हमने ? ये सोच हमारी है | 


झोली भर दी  हमारी उसने ,इतने संसाधन हमें दिए ,

हमने उनको ख़त्म किया ,नहीं किया सदुपयोग उनका ,

ये क्या हाल किया उनका ? ये सोच हमारी है | 


रंगों की छवि और छटा ,उसने बिखराई चहुँ ओर ,

सुंदर जग था हमारा ये ,फूल खिले थे अँगना में ,

हमने उनको क्यों मुरझाया ? ये सोच हमारी है |

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