सोच हमारी
जीवन जब दिया उसने ,सब कुछ जग में दिया उसने ,
दिल में प्यार दिया उसने ,हर रिश्ता भी दिया उसने ,
हमने कैसे निभाया सबको ? ये सोच हमारी है |
राहें सुंदर - सी दीं उसने ,कदम दिए आगे बढ़ने को ,
मंजिलें बनाईं सब उसने ,मेहनत तो हमने करनी थी ,
कोशिशें कीं क्या हमने ? ये सोच हमारी है |
झोली भर दी हमारी उसने ,इतने संसाधन हमें दिए ,
हमने उनको ख़त्म किया ,नहीं किया सदुपयोग उनका ,
ये क्या हाल किया उनका ? ये सोच हमारी है |
रंगों की छवि और छटा ,उसने बिखराई चहुँ ओर ,
सुंदर जग था हमारा ये ,फूल खिले थे अँगना में ,
हमने उनको क्यों मुरझाया ? ये सोच हमारी है |
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