उड़ान हौसलों की
हर पतंग उड़ती है ,डोर से बंध के ,
तुम उड़ो ,हौसलों की डोर से बंध के ,
इस डोर को लंबा कर लो दोस्तों ,
ताकि आसमान छू सको ||
अपने सपनों का आसमान ,
बहुत बड़ा और ऊँचा कर लो ,
डोर को मजबूती से सपनों से ,
बाँध लो ,और उड़ जाओ ऊँचे ,बहुत ऊँचे ||
जितने मजबूत हौसले होंगे ,उतनी ही ऊँची उड़ान ,
ऐसा होगा दोस्तों तभी तो , सजेगा सपनों का जहान ,
और तभी तो बाँहों में होगा ,
सपनों का खुला और ऊँचा आसमान ||
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