महाभारत हर युग की
एक महाभारत थी कौरव ,पांडव और कृष्ण की ,
आज के युग में है , एक नई महाभारत ,
उसमें भीष्म ,धृतराष्ट्र और पांडु तो हैं ,
मगर विदुर नहीं है ,कृष्ण नहीं हैं ||
भीष्म के कंधों पर ,अतीव जिम्मेदारियाँ हैं ,
कोई सुख नहीं ,जीवन भर बोझ ढोना है ,
आज उनके साथ उनकी सहचरी है ,
जो साथ में भार ढोती है ||
धृतराष्ट्र आराम से बैठकर ,सुख भोगता है ,
साथ में उनका परिवार भी ,राजसी सुख भोगता है ,
कर्म चाहे उनके कैसे हों ? मगर सुख सारे हों ||
पांडु भी सुखों का भागी बनता है ,
कोई जिम्मेदारी नहीं ,उसके परिवार के हिस्से ,
कुछ दुःख ,कुछ सुख आते हैं ,
उनके साथ कृष्ण जो हैं ||
उस युग में भीष्म को ,तीरों की शैय्या मिली थी ,
आज के भीष्म को ,तानों के तीरों की शैय्या मिलती है ,
कुछ तो जीवन संवर जाए उनका भी ,
काश भीष्म को कोई कृष्ण ,
और कोई विदुर मिल जाएँ ,काश ऐसा हो जाए ||
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