ठहाकों से
अपना दिल तो अपना है ,खुश तुम उसे बनाओ ,
मुस्कानों की नदिया में ,डुबकी खूब लगाओ |
जिम्मेदारी है तुम्हारी ,दिल को खुश कर जाओ ,
नहीं तो बंधु जीवन में ,उदासी ही तुम पाओ |
खुश हो जाए दिल जब ,मुस्कानें उग जाएँ ,
तभी तो बंधु जग में तुम ,मुस्कानें फैलाओ |
बात शुरू हो कैसी भी ? मुस्कानों में ढल जाए ,
खत्म ठहाकों से करो ,तभी तो ख़ुशी बढ़ जाए |
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