Sunday, October 1, 2023

MAHFIL ANOKHI ( JIVAN )

 

                        महफ़िल अनोखी  


रत्नाकर का आया फोन ,आओ सखि मेरे अँगना ,

कॉन्फ्रेंस कॉल थी वो ,जुड़े जलद और चंद्रमा ,

चारों हम थे मिलने को | 


मैं पहुँची रत्नाकर अँगना ,किया स्वागत उसने मुस्काकर ,

तभी नीचे आया चंद्रमा ,फैली चाँदनी चारों ओर ,

जलद भी आया मुस्काता ,थामे हाथ दामिनी और पवन का ,

खुश थे हम सब मिल करके | 


अब तो महफ़िल जमी हमारी ,

रत्नाकर की लहरें मचलीं ,दामिनी,चाँदनी चम -चम चमकीं ,

पवन उड़ती रही चहुँ ओर ,मुस्कानों की सुंदर डोर ,

बातों का बढ़ चला सिलसिला ,उठा ठहाकों का भी शोर ,

खुश थे हम सब मिल करके | 


साथ में चाय की चुस्कियाँ ,होठों पर थीं सबके मुस्कियाँ ,

स्नेस्क भी थे खूब चटपटे ,खाए गए चटखारे ले के ,

काश ये महफ़िल खूब चले ,प्यार सभी का फूले - फले ,

सबने मज़ा लिया भरपूर ,मज़ा लिया भरपूर | 


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