Monday, August 31, 2020

WHITE WARRIORS - HAMARE SWASTHYA KARMCHARI (13-8-20)

 वाइट वारियर्स -हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी 

 

रचनाकार रचा तुमने ,कैसा ये दुनिया का खेला ?

महामारियों के चक्रव्यूह ने ,आकर इसको घेरा | 

 

ऐसी रचना क्यों की रचेता ? मानव तेरा अकुलाए ,

हवा तो तूने दी है ईश्वर ,साँस ना फिर भी आए | 

 

ऐसी पहेली है ये भगवन ,कोई ना उत्तर सूझे ,

ना है दवा ,ना है दुआ ,डॉक्टर्स भी ना बूझें | 

 

अपने -अपने घर को छोड़ा ,परिवारों से दूर ,

अस्पतालों में जूझ रहे हैं ,हैं फिर भी मजबूर | 

 

जान है उनकी भी जोखिम में ,है नहीं कोई उपाय ,

दे दो भगवन तुम ही उनको ,अच्छा कोई उपाय | 

 

मानव की ऐसी सोच तो देखो ,डॉक्टर्स को भगाय,

एम्बुलेंस को देखते ही ,पत्थर देय चलाय | 

 

जान बचाने आए जो ,उन्हें करें ना नमन ,

सफ़ेद कोट वालों को समझें ,अपनी जान का दुश्मन | 

 

मगर फिर भी लगे हैं सब जन ,जान बचाने उनकी ,

उस चक्कर में उनकी खुद की ,गयी हैं जानें कितनी ? 

 

उनके पीछे परिवार की ,कौन करेगा देखभाल ? 

ये सब वो मूर्ख क्या जानें ? जो हैं अनजाने पत्थरबाज | 

 

Sunday, August 30, 2020

BAITMAN (BAL SAHITYA )

 

 

          बैटमैन 

    

दुनिया में बाज़ार बहुत हैं ,

बाज़ारों में अनगिनत वस्तुएँ ,

रोज ही बिकती रहती हैं ,

बच्चों को लुभाने ,दुकानें सजी रहती हैं |


उन वस्तुओं में एक है मास्क ,

मगर उसका बड़ा है टास्क ,

गिनती ना कोई उनकी ,

शेर ,टाइगर ,स्पाइडर मैन ,

आयरन मैन ,हल्क ,बैटमैन |


आज हम बात करेंगे मित्रों ,

बैटमैन के बारे में ,

बच्चे उसका मास्क पहनकर ,

खुद को समझते बैटमैन |


उड़ने का नाटक करते ,

सोफे के ऊपर चढ़कर ,

दोनों बाँहों को फैलाकर ,

लंबी कूद लगाते हैं ,

सबको खुश करने के लिए ,

आवाजें भी निकालते हैं ,

साथ ही साथ मित्रों ,

खुद भी खुश हो जाते हैं |


कहानियों में बसे बैटमैन ,

इन नन्हें बैटमैन से ,

अधिक रोचक नहीं हैं |

Saturday, August 29, 2020

INSANI HAK KI LADAI (PRERAK KATHA )

       इंसानी हक़ की लड़ाई 

 

दुनिया में आते ही ,बुद्धिमान प्राणी मानव ने ,

अपनी धरती ,अपना पानी ,अपनी हवा चाहा ,

मेरी धरती ,मेरा पानी ,मेरी हवा कहा ,

क्या सब कुछ उसका है ? 

 

प्रकृति ने सब कुछ बनाया ,मिला मानव को ,

उपयोग सभी का किया ,मानव ने ,

हक़ सभी पे जमाया ,मानव ने ,

क्या मानव ही सब कुछ है ? 

 

प्रकृति के बनाए नियमों को ,

मानव ने नहीं अपनाया ,

उसने प्रकृति का विनाश किया ,

पर्यावरण को सताया | 

 

मानव प्रकृति के नियमों को गर मानता ,

प्रकृति का विनाश वह नहीं करता ,

पर्यावरण को नहीं बिगाड़ता ,तो प्रकृति उसे मालामाल कर देती ,

जितना अभी दिया है ,उससे कई गुना देती | 

 

हक़ माँगने की जरूरत नहीं होती ,

कर्तव्य पूरे करने पर ,

हक़ स्वयं ही मिल जाते हैं ,

उसके लिए लड़ाई की जरूरत नहीं होती |

LAADLA OR LAADO ( GEET )

        लाडला और लाडो

 

 हवा तो साँसें देती सब को ,सबको जीवन देती है ,

बिना हवा के ना हम हैं ,बिना हवा के ना तुम हो ,

पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु ,सभी तो उसके हैं आसरे ,

बहती हवा है ,तभी तो सभी की साँसें हैं | 

 

मगर यही हवा जब तेज हो ,तूफ़ान बन जाती है ,

उजड़ते पेड़ -पौधे ,उड़ते जीव -जंतु हैं ,

आशियाने भी ,बर्बाद होते जाते हैं ,

दुनिया में सभी ,परेशान होते जाते हैं | 

 

एक नन्हीं चिड़िया ने ,एक पेड़ पे बनाया आशियाना ,

नन्हां सा घोंसला ,उसमें दिए दो अंडे ,

देखभाल करते ,चिड़ा -चिड़िया उनकी ,

थोड़े वक्त के बाद ,दो बच्चे निकले ,

चीं -चीं करते बच्चे देख ,दोनों खुश हुए | 


दो दिन बाद ही ,हवा तेज आई ,

तूफ़ान बन छाई , पेड़ डोलने लगा ,

घोंसला गिरने लगा ,कैसे रोकें उसे ?

दोनों ही परेशान होने लगे | 


दो नन्हें बच्चे ,भाई -बहिन ,

अपनी नानी के लाडला और लाडो ,

आए वहाँ ,देखा घोंसला गिरता ,

दोनों ने अपने ,हाथों को मिलाकर ,

पत्तल सा फैला दिया ,घोंसला पकड़ लिया | 

 

सभी खुश --- चिड़ा -चिड़िया ,लाडला -लाडो ,

अब क्या करें ? घोंसला कहाँ रखें ?

भाई -बहिन ने सोचा ,बातें की ,फैसला किया ,

धीरे -धीरे चलकर ,दोनों घर आए ,

घोंसले को दोनों ने ,खिड़की पर रखा | 

 

चिड़ा -चिड़िया ,चीं - चीं करते आए ,

उन दोनों के कंधे पर बैठे ,

भाई -बहिन का ,मानो धन्यवाद किया ,

बच्चे भी मुस्काए और ,दाना -पानी दिया ,

इस तरह ------ एक बर्बाद घोंसला ,

                      हुआ आबाद घोंसला |

ASTITVE ( KSHANIKA )

  अस्तित्व


अँग्रेजी में कहते हैं   PERSONALITY,

हिंदी में हो जाता है  व्यक्तित्व ,

इसी से तो है सभी ,

इंसानों का अस्तित्व |


देखकर मुस्कराहट ,सामने वाले की दोस्तों ,

अपना भी दिल, मुस्कुरा उठता है ,

सभी उस व्यक्ति के ,दोस्त बन जाते हैं ,

नाम गुम हो जाता है ,हँसमुख हो जाता है |


कोई दिखाई देता है ,रौबीला तो ,

इंसानों का वह ,नेता बन जाता है ,

उसके बोलने का ढंग ,

सभी को लुभाता है |


दिखाई दे जो ,शैतान सा ,

दूर सभी जन ,उससे भागें ,

कोई ना उसके ,पास जाए ,

कोई ना उससे ,पनाह माँगे |


मिला -जुला होता है ,किसी का व्यक्तित्व ,

जो लुभा लेता है ,सभी का अस्तित्व ,

पता नहीं ये गुण ,उसने कहाँ  से पाए ,

काश हमारा कर दे ,कोई ऐसा व्यक्तित्व |

Friday, August 28, 2020

SAFAR ----- BHAGVAN, INSAN , SHAITAN KA ( JIVAN )

 

सफर  ----  भगवान ,इंसान ,शैतान  का 


एक भगवान ,एक इंसान ,एक शैतान ,

किसने ये सब बना दिया ? 

एक भगवान   --  रची जिसने ये दुनिया सारी ,

एक शैतान  --  जो तोड़े ये दुनिया सारी | 


भगवान के सफर में ,बनता है सभी कुछ ,

शैतान के सफर में ,मिटता है सभी कुछ ,

इंसान ना है भगवान ,ना है शैतान ,

इंसान के सफर में ,टिकता है सभी कुछ | 


भगवान ने एक ओर ,तो इंसान बनाया ,

उसके अंदर मानवता का ,भाव जगाया ,

भगवान ने ही दूजी ओर ,शैतान बनाया ,

और उसको ही ,विनाश का कर्म सिखाया | 


दोनों ही तो रचना हैं ,उस भगवान की ,

फिर हम क्यों बुराई करें ,उस शैतान की ,

हम तो सिर्फ इंसान हैं ,इंसान बनें रहें ,

भगवान की उस रचना को ,कुछ ना हम कहें ,

सिर्फ अपने कर्मों को ,अच्छाई से करें |

MERA KYA KASOOR THA ( SHORT STORY )

                    मेरा क्या कसूर था ?

 

दलदल बनी कसूरों की ,हर कोई ना उसमें फंस पाया ,

जीवन संग्राम बना सबका ,हर कोई ना उसके पार गया ,

जो फंसा है दलदल में बंधु ,वो निकल ना उससे पाया ,

मदद -मदद चिल्लाता रहा ,पर मददगार ना कोई पाया | 

 

क्या था कसूर उसका बंधु ?ये समझ में उसकी ना आया ,

दूजा कोई बतलाए क्या ?मदद का हाथ बढ़ाए क्या ?

कैसे कोई मदद करे ?ये समझ ना दूजे को आया ,

दलदल ने उसे कैसे घेरा ?ये समझ नहीं कोई पाया | 

 

प्रकृति आज विनाशित है ,इसके कसूरवार सब हैं ,

हम और आप सभी जन तो ,कसूरवार तो सभी हैं ,

पर कैसे बचाएँ हम अपनी ? प्यारी सी इस दुनिया को ,

जिसे विनाशित किया लाखों वर्षों से ,

क्या दो दिन में बच जाएगी ? 

 

क्या आदम युग में पहुंचें हम ?

सब साधन सुख के त्याग करें , 

पर सब कुछ ना बदलेगा अब ,लाखों ही वर्ष लगाने हैं ,

कसूरवार तो एक नहीं ,सब मानव ही हैं कसूरवार ,

और हम तुम भी मानव हैं बंधु ,

सभी हैं इसके भागीदार |

SHABD NANHEN SE ( JIVAN )

   शब्द  नन्हें से


नन्हीं गुड़िया ,मेरे अँगना में ,

डगमग - डगमग ,कदम बढ़ाए ,

खिल -खिल हँसती ,ही चली जाए ,

मम -मम बोले ,बा -बा ,बा -बा बोले |


धीरे -धीरे कुछ शब्द ,

आए उसकी जुबां पर ,

चिड़िया को तीं -तीं कहती ,

बिल्ली को माऊं बोले |


कुछ दिन और बीते जब मित्रों ,

दौड़ लगाती जाए ,

नाच -नाच के ,हँस -हँस कर ,

नन्ना -नन्ना कह -कहकर ,

ताली खूब बजाए |


नन्हें से तुतलाते बोल ,

हमको खूब हँसाएँ ,

जीवन खुशियों से भरता है ,

जब वह नाच दिखाए |

 

Thursday, August 27, 2020

HAM DONON DO PREMEE , DUNIYA CHHOD CHALE ( SHO STO )

     हम दोनों दो प्रेमी   

 

प्रेम का सागर बहता जाए ,डुबकी इसमें लगाओ ,

साथ -साथ में बह चलो ,प्यार ही प्यार फैलाओ ,

हम तो साथी प्रेम के ,साथ ही चलते जाएं ,

एक -दूजे का प्यार ही ,हमको पार लगाए | 

 

प्यार के हम दो पंछी ,साथ -साथ उड़ जाएं ,

आसमान में नील रंग ,देख -देख मुस्काएं ,

प्रेम का सागर हमारी ,परछाइयों से भर जाए ,

उसकी चंचला लहरें भी ,प्रेम में डूबीं जाएं | 


नदिया है ये प्रेम की ,कल -कल बहती जाए ,

हम दोनों प्रेमीजन ,साथ में बहते जाएं ,

मछली जैसे हम फिरें ,पानी संग अकुलाए ,

इस नदिया के साथ ही ,सागर में मिल जाएं | 


राही हैं हम प्यार के ,इस दुनिया से दूर ,

अपनी दुनिया प्रेम की ,नफरतों से दूर ,

आना चाहे जो यहाँ ,हाथ दे बढ़ाय ,

पर दिल से रहे यहाँ ,वापस कभी ना जाए |

JAHAREELE FOOL ( SHORT STORY )

 

          जहरीले फूल 


खूबसूरती का उदाहरण फूल हैं ,

कोमलता का उदहारण फूल हैं ,

खुशबुओं का उदहारण फूल हैं ,

रंगों का उदहारण फूल हैं ,

फिर बताओ जहरीले कैसे फूल हैं ? 


रंग -बिरंगे फूलों से ,बगिया भरी है ,

तितलियाँ भी रंग -बिरंगी ,वहाँ आईं हैं ,

जो भी बगिया में आया ,

उसके होठों पर खिल के ,

मुस्कान आई है | 


भीनी -भीनी खुशबु से ,बगिया महकी है ,

वहीं पास में कोयल ,भी कुहुकी है ,

नन्हीं चिड़िया भी ,खुश हो चहकी है ,

ये सब देखकर मेरी ,बिटिया भी लहकी है | 


फूलों सी खूबसूरत है ,मेरी बिटिया ,

फूलों सी कोमल है ,मेरी बिटिया ,

ये सभी उदहारण ,कैसे होते ?

अगर बगिया में फूल ,जहरीले होते ? 

अगर दुनिया में फूल ,जहरीले होते ? 



COMIC ( SHORT STORY )

        कॉमिक 


जब हम छोटे बच्चे थे ,चंदा -मामा पढ़ते थे ,

उसमें जब आती थी मित्रों ,छोटी सी चित्रकथा ,

हम तो मित्रों उसी को पढ़कर ,

ज्यादा खुश हो जाते थे | 


मैनड्रेक को पढ़ा था हमने ,

अपने नन्हे बचपन में ,

मैनड्रेक जब अदृश्य होकर ,

पहुँच जाता था दूर कहीं ,

हम भी ऐसे कहीं पहुँचने की ,

कल्पना करते थे |

आज तो ढेरों चित्रकथा हैं ,

टिन -टिन छोटे से हैं ,

मोटू - पतलू हँसें - हँसाएँ ,

सबका दिल बहलाएँ ,

चाचा चौधरी ,साबू से मिल ,

रहस्य सभी सुलझाएँ |

 

Wednesday, August 26, 2020

APANAA PARYAVARAN ( KSHANIKAA )

अपना पर्यावरण

 

आज खड़ी है एक आत्मा ,मानव की नजरों के सामने ,

कह रही है रो -रोकर ,मानव ये क्या किया है तूने ? 

मैंने तुझे जन्म दिया ,पाला -पोसा आराम दिया ,

पर तूने मानव आज तो मुझको ही बर्बाद किया | 

 

क्यों जंगल काटे ,क्यों हरी -भरी धरा को ,

बंजर तूने बना दिया ,

धरा जो सब कुछ देती तुझको ,

उसी को नेस्तोनाबूत किया ,

पानी तेरी खास जरूरत ,उसके बिना तू जिए नहीं ,

पर उसी पानी को तूने मानव ,पीने योग्य नहीं छोड़ा | 

 

पेड़ तुझे साँसे देते ,साँसों से चलता जीवन ,

उन्हीं पेड़ों को मानव तूने ,उखाड़ फेंका जड़ से ही ,

दूषित हवा क्या जीवन देगी जीवन ,सोच ले मानव फिर एक बार ,

ऐसा करने से क्या तेरे ,जीवन में आएगी बहार | 

 

आज महामारी जो फैली ,रोक नहीं उसको पाया ,

मैं हूँ पर्यावरण की आत्मा ,मुझे तो तूने क़त्ल किया ,

कब समझेगा तू मानव ,अपनी बर्बादी लिखता है ,

आँखें होते हुए भी मानव ,तुझको कुछ ना दिखता है ,

मैं मागूँ किस्से इंसाफ ,कौन करेगा मेरा इंसाफ ? 

क्या तू मानव अपना पर्यावरण ,कर पाएगा फिर से साफ ?

BUDHAPA ( SHO STO )

   बुढ़ापा 


जन्म लिया जिसने दुनिया में ,पहला कदम बढ़ाया जी ,

मात -पिता खुश होकर देखें ,उनमें अपना बचपन जी,

करी पढ़ाई बड़ा हुआ जब ,दोस्त बने हैं उसके जी ,

युवा हुआ तो करी नौकरी ,हुई है उसकी शादी जी |


बच्चे हुए जब उसके मित्रों ,उनमें देखा बचपन जी ,

सब कुछ वार दिया उन पर ,भूले मात -पिता को जी ,

मात -पिता ने उन पर वारा ,आज उनके बच्चों पर जी ,

दिया आराम बच्चों को पहले ,आज उनके बच्चों को जी |


बुजुर्ग हो गए मात -पिता अब ,नहीं शरीर चलता है जी ,

उम्र बिताई कसरत करते ,अब शरीर थकता है जी ,

नहीं बोल हैं मात-पिता के ,हुए हैं वो अकेले जी ,

बच्चे मस्त हैं अपने में ,कैसे मात -पिता हैं जी ?


कल बच्चे जब आएंगे ,मात -पिता की उम्र में जी ,

तभी अनुभव होगा उनको ,उनकी उम्र का जी ,

तभी समझ में आएगा ,बुजुर्गियत का जीवन जी ,

पर तब बहुत देर होगी ,बीत जाएगा जीवन जी |

 

MERA KHADOOS BOSS (SHORT STORY )

                      मेरा खड़ूस बॉस 


दुनिया में कितने कार्यालय ,सभी में बॉस होते हैं ,

कितना भी मधुर व्यवहार करें ,वो खड़ूस कहलाते हैं ,

कर्मचारी जो काम करे ,वो बॉस को अच्छा लगता है ,

जो हो कामचोर वह तो ,खड़ूस उनको कहता है | 

 

समय पे ना आने वाले ,लाखों ही बहाने जानते हैं ,

बहाने उनके ऐसे हैं ,बॉस भी चुप हो जाते हैं ,

समय पे आने वाले ही ,उनके उलाहने सुनते हैं ,

क्योंकि बॉस के सामने ,वही उपस्थित होते हैं |


मस्का लगाने वाले भी ,मस्का तो खूब लगाते  हैं ,

पर जब मस्का ना काम करे ,खड़ूस उन्हीं को कहते हैं ,

अब बॉस बेचारा क्या करे ,काम उसे करवाना है ,

जिससे भी वह काम कराए ,वही खड़ूस समझता है | 


खैर मित्रों ये दुनिया है ,इसमें हैं अनगिनत कार्यालय ,

अनगिनत बास हैं ,अनगिनत कर्मचारी हैं ,

ये सिलसिला जारी है ,हमेशा चलता रहेगा ,

कर्मचारी बॉस को ,खड़ूस ही कहता रहेगा ,

मगर ना हर बॉस खड़ूस  है ,

और ना हर कर्मचारी कामचोर |

NIYAM NAA TODO ( JALAD AA )

             नियम ना तोड़ो

 

मानवता है प्रेयसी हमारी ,हम दीवाने हैं इसके ,

हमने और कुछ नहीं चाहा ,इसके प्यार में पड़के ,

सभी देश ,सभी भाषा ,सभी विचार ,सभी लोग ,

हमारे लिए हैं पूजनीय ,काबिल हैं प्यार के | 

 

प्रकृति के अपमान ने ,आज संकट को आमंत्रण दिया ,

तभी तो प्रकृति बिगड़ गई ,क्रोध उसको आ गया ,

क्यों मानव तूने ऐसा ,काम ही कुछ क्यों किया ? 

जिसके कारण प्रकृति को ,क्रोध इतना आ गया | 

 

बदरा ने क्रोध में ,इतना पानी बरसा दिया ,

नदियों के अंदर मानो ,गहरा तूफ़ान आ गया ,

बाँध भी अब टूट गए ,पानी भी अब बढ़ चला ,

मानव ने डरकर कहा ,देखो बाढ़ आ गई | 

 

बाढ़ में डूबा है मानव ,अस्त ,व्यस्त ,त्रस्त है ,

मगर ऐसे में भी मानव ,अपने में ही मस्त है ,

प्रकृति को दोष देता है वो ,अपना दोष नहीं देखे ,

प्रकृति तो आज भी ,होती उससे ध्वस्त है | 

 

आज फैली महामारी से ,आज मानव त्रस्त है ,

दूसरों को दोष देता ,अपने दोष नहीं गिनवाता , 

नियम बनाए जो प्रकृति ने ,उनका पालन नहीं किया ,

नियमों की बाड़ में रहता तो ,आज ये हालत ना होती ,

मानवता के लिए हमारी ,आँखें आज नहीं रोतीं ,

इस इश्क के लिए हमारी ,आँखें आज नहीं रोतीं | 


Tuesday, August 25, 2020

WAH BADLA LENE LAUTI HAI (SHO STO )

       वह बदला लेने लौटी है 


पुनर्जन्म होता है बंधु ,ये विश्वास हमें है ,

मगर इस जन्म से पहले ,का कुछ भी याद नहीं है ,

हम क्या  थे ,कहाँ थे हम ? हम कुछ नहीं जानते ,

इस जन्म के रिश्तों के सिवा ,किसी को नहीं पहचानते | 


इस जन्म के शुरुआती ,लगभग चार वर्षों का ,

नहीं याद है कुछ भी बंधु ,कैसे सीखा बोलना ,चलना ? 

रुकीं हैं अपनी यादें बंधु ,इसी जन्म के रिश्तों पे ,

कुछ अपने कर्मों पे ,और कुछ उनके कर्मों पे | 

कोई

प्रकृति देती है बदला ,हमको हमारे कर्मों का ,

जो हम भोग लेते हैं बंधु ,इसी जन्म में ,इसी जन्म का ,

अच्छा बुरा हम जो भी करते ,उसका स्वाद हम चखते ,

यहीं पे मिल जाता है बंधु ,परिणाम अपनी करनी का | 


पिछले जन्म का याद ना कुछ भी ,फिर कैसे ,क्या होगा ? 

कैसे कोई वर्तमान में ,बदला लेने लौटेगा ? 

सिर्फ सोच में बसी कहानी ,याद हैं किसी को बातें पुरानी ,

ये सब दिमाग का खलल है बंधु ,पिछली यादें लेकर ,

कोई नहीं लौटेगा बंधु , कोई नहीं लौटेगा |

BATCHEET ( SHO STO )

  बातचीत 


चुप हैं वो  ,मैं भी चुप ,

बात ही न है ,तो कैसे चलेगी चीत ?

बातचीत ,बातचीत बातचीत |

हीं है ,ना उनकी ,ना मेरी ,जब बात नहीं

वो जब बोलेंगे ,तो मैं जवाब दूँगी ,

मैं जब बोलूँगी ,तो वो जवाब देंगे ,

तभी तो चलेगी दोनों की ,

बातचीत ,बातचीत ,बातचीत |

 


प्रतिलिपि में दोस्तों ,

कुछ तुम सुनाओ ,कुछ मैं सुनाऊँ ,

आगे तभी बढ़ेगी ,हम सब की ,

बातचीत ,बातचीत ,बातचीत |


चुप्पी तो बेहतर है ,बड़बोलेपन से ,

मगर बातचीत बेहतर है ,

अपनों से अपनेपन से ,

आप सब अपने हो ,तो बेहतर है ,

बातचीत ,बातचीत ,बातचीत |

 

vaimpair ( sho sto )

        वैम्पायर 


वैम्पायर है कौन ?शायद भटकती आत्मा ?

मृत्यु के बाद ,आत्मा पुनर्जन्म ना ले ,

यूँ ही भटकती रहे ,अंतरिक्ष में ,

दिखाई यदि दे जाए मानव को ,

एक साया सा ,उसे ही मानव ,

वैम्पायर कह देता है |


मानव की जिंदगी में ,उस समय ,

अगर कुछ बुरा होता है ,

उसे वह उस साये के साथ ,

जोड़ देता है ,उसे बुरा वैम्पायर कहता है ,

अगर कुछ अच्छा होता है ,

तो अपनी किस्मत कहता है |


आत्मा ,परमात्मा ,दोनों ही दिखाई नहीं देते ,

परमात्मा ही जाने ,क्या सच है ?

निद्रामग्न होकर ,हम सपने देखते हैं ,

सपनों में घूमते हैं ,नई दुनिया देखते हैं ,

ऐसे ही शायद हम ,आत्मा को देखते हैं |


कोई नहीं जानता ,क्या सच है ,क्या है सपना ?

हर सपना तो मुझको ,लगता है सिर्फ अपना ,

सपनों की दुनिया तो ,खुशनुमा है मित्रों ,

तुम भी हो जिसमें शामिल ,

खुशियाँ भी जिसमें शामिल |


मानो अगर वैम्पायर ,उसे भी मित्र बनालो ,

चंदा ,सूरज जैसे ,गपशप भी तुम लड़ालो ,

गर वो भटक रहा है ,इस सारी कायनात में ,

उसे भी तो मित्रों ,कोई तो मित्र चाहिए |

 

Monday, August 24, 2020

APNON KE AANGAN ME ( PREM )

        अपनों के आँगन में

 

 जीवन संगम है प्यार का ,प्रेम ,प्रीत के बाणों का ,

क्यों ना हम दरीचा खोलें ,दिल के अरमानों का ,

आने दें हवा के झोंके ,खोलें द्वार मकानों का ,

सूरज की किरणें दे दस्तक ,खोलें रखें खिड़कियों को |


प्रेम करें हम अपनों से ,अपनों के सपनों से ,

उनके सपनों के साथ -साथ चलके ,पूरा करें कोशिशों से ,

जब सपने उनके होंगे पूरे ,चेहरे पे नजर आएगी ख़ुशी ,

तब हम भी खिल जाएँगे ,देख के उनकी मुस्कानों को |


प्यार बढ़े कदम दर कदम ,प्रीत बनी रहे साँझी ,

हम सब बन जाएँ दुनिया में ,एक -दूसरे के माँझी ,

जीवन नैया डोले ना ,भवसागर को पार करें ,

और किसी का हो ना हो ,अपनों का उद्धार करें |


सारे जग की खुशियों से ,अपनों का दामन भरा रहे ,

चाहे कोई भी मौसम हो ,अपनों का आँगन हरा रहे ,

फूल खिलें हर रंग के ,इंद्रधनुष सा बना रहे ,

उनके दिल की धड़कन में ,संगीत का हर स्वर मिला रहे |


रुक जाए खुशियों का कारवां ,अपनों के आँगन में ,

झूले सावन के पड़े रहें ,अपनों के आँगन में ,

रंग -बिरंगी उड़ें तितलियाँ ,अपनों के आँगन में ,

प्यार के फूल रहें महकते ,अपनों के आँगन में |



 

Sunday, August 23, 2020

EK ANJANA AADMI ( SHO STO )

             आदमी अन्जाना 


एक है आहट अन्जानी सी ,नहीं है वो पहचानी सी ,

रुक -रुक कर आती है पास ,कभी -कभी जाती है दूर ,

कौन है जो आता भी है ,कभी दूर जाता भी है ?

क्या घबराता है आने से ,फिर क्यों वह जाता है दूर ?


कदम चाप है धीमे से , तेज नहीं वह होती है ,

कौन है वह अन्जाना ,हिम्मत जिसे ना होती है ?

सूर्य अस्त हो चुका पश्चिम में ,धूमिल सी रौशनी है ,

ऐसे में धुँधला सा साया ,पहचान ना जिसकी होती है |


रुकता कभी ,कभी चलता ,देख रहा वो इधर -उधर ,

जाने क्या ढूँढ रही है ,उसकी वो अन्जान नजर ?

चेहरे पर क्या भाव उजागर ,कुछ कैसे समझ में आएगा ?

इस धुँधलके में तो मित्रों ,आता नहीं है कुछ नजर |


तभी आया पास वो मेरे ,अब तो उसकी सूरत दिखी ,

पर यह तो अन्जाना था मित्रों ,पहले नहीं ये सूरत देखी ,

कैसे जानूँ ,कौन है वो ,क्या हम पहले मिले कभी ?

उसने दिया अपना परिचय ----मैं हूँ तुम्हारी प्रतिलिपि |







Monday, August 3, 2020

HAM SATH-SATH HAIN ( SHO STO )

हम साथ - साथ हैं

सबसे पहले
 पति -पत्नी --
साथ हो तुम तो ,दुनिया सुंदर है ,
फूल राहों में बिछे हैं साथी ,
हरेक आवाज जो आती है ,
बहुत मधुर है,
गीत ,संगीत कानों में गूँजते ,
दिल की धड़कन भी मानो ,
बीना का स्वर है |

भाई - बहिन--
दूर बस गए हैं ,भाई और बहना ,
रेशमी धागों का त्यौहार ,
दूर से ही मनाना,
संदेशों से ही मिठाई का ,
काम चलाना,
प्रत्येक वर्ष तो नहीं ,
हो सकता मिलना ,मिलाना |

माता -पिता --
जन्म दाता प्यार तुम्हारा पाया ,
पालन - पोषण किया तुमने ,
तुम्हारे दिए संस्कार ,
आज हमारे बच्चों में हैं ,
कुछ नहीं भूले हैं हम ,
पर सदा तुम्हारे साथ हैं हम |

ज्यों - ज्यों बड़े होते जाते ,
सबका बनता संसार अलग ,
पर सब एक दूजे के हैं ,
दिल ,दिमाग और यादों में |



KI MAIN EK AAWARA PANCHHEE ( GEET )

कि मैं एक आवारा पंछी

पंछी बनूँ उड़ जाऊँ ,नील गगन हो आऊँ ,
पवन के संग -संग गगना में ,बदरा को छू आऊँ ,
परीलोक की परियों ने ,दिए हैं पंख उधार ,
उन पंखों को पहन के मैं भी ,परीलोक घूम आऊँ |

पंछी उड़ते दाना चुगते ,मैं तो बर्गर ,पिज़्ज़ा खाऊँ ,
सदा पानी पीना छोड़कर ,कॉफी ,पेप्सी पी जाऊँ ,
मैं हूँ मस्तमौला पंछी ,मधुर गीत मैं गाऊँ ,
उन गीतों की धुन पर ही मैं ,
ठुमक कर नाच दिखाऊँ |

नील गगन के टिम -टिम तारे ,उन तक मैं उड़ जाऊँ ,
चंदा के झूले में झूलूँ ,तारों की तरह टिमटिमाऊं ,
गगन के अलग -अलग रंग देखूँ ,
इंद्रधनुष बन गगना का सौंदर्य बढ़ाऊँ |

पंछी तो पवना संग उड़ते ,दूर नहीं वो जाते ,
मैं तो अंतरिक्ष में जाकर ,सपना पूरा कर आऊँ ,
याद करूँ ये गण मैं ,और मस्ती में गाऊँ ---
" पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ ,मस्त गगन में ,
आज मैं आज़ाद हूँ ,दुनिया के चमन में "|


EK LADKI JO SABKI MAUT KA KARAN JAAN SAKTEE HAI ( SHO STO )

एक लड़की जो सबकी ,
मौत का कारण जान सकती है


लड़की है या जादूगरनी ,कैसे जाने मौत का कारण ?
जादू से सब जाना जाता ,तो पुलिस की क्या थी जरूरत ?
क्या आज के जादूगर ,ये सब कुछ कर सकते हैं ?
एक बक्से से वो तो ,लड़की को गायब कर सकते हैं |

पानी कहीं से निकालते , कहीं कबूतर हैं उड़ाते ,
नोटों को एक की जेब से गायब करते हैं ,
तो दूसरों की जेबों में से पाकर ,
अपने खेल को आगे बढ़ाते हैं |

यही है जादू दुनिया में ,भूत ,भविष्य क्या जाने कोई ,
जो यह कुछ जान पाएगा , सिद्ध आत्मा होगी कोई |

पर है ऐसी लड़की कौन ? पुलिस नहीं उसको जाने ,
करो फ़ोन सौ नंबर पर ,ढूँढे ऐसी लड़की को ,
फिर रहस्य नहीं रहेगा कुछ ,पुलिस भी चैन से सोएगी ,
                      पुलिस भी चैन से सोएगी |