Monday, August 3, 2020

KI MAIN EK AAWARA PANCHHEE ( GEET )

कि मैं एक आवारा पंछी

पंछी बनूँ उड़ जाऊँ ,नील गगन हो आऊँ ,
पवन के संग -संग गगना में ,बदरा को छू आऊँ ,
परीलोक की परियों ने ,दिए हैं पंख उधार ,
उन पंखों को पहन के मैं भी ,परीलोक घूम आऊँ |

पंछी उड़ते दाना चुगते ,मैं तो बर्गर ,पिज़्ज़ा खाऊँ ,
सदा पानी पीना छोड़कर ,कॉफी ,पेप्सी पी जाऊँ ,
मैं हूँ मस्तमौला पंछी ,मधुर गीत मैं गाऊँ ,
उन गीतों की धुन पर ही मैं ,
ठुमक कर नाच दिखाऊँ |

नील गगन के टिम -टिम तारे ,उन तक मैं उड़ जाऊँ ,
चंदा के झूले में झूलूँ ,तारों की तरह टिमटिमाऊं ,
गगन के अलग -अलग रंग देखूँ ,
इंद्रधनुष बन गगना का सौंदर्य बढ़ाऊँ |

पंछी तो पवना संग उड़ते ,दूर नहीं वो जाते ,
मैं तो अंतरिक्ष में जाकर ,सपना पूरा कर आऊँ ,
याद करूँ ये गण मैं ,और मस्ती में गाऊँ ---
" पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ ,मस्त गगन में ,
आज मैं आज़ाद हूँ ,दुनिया के चमन में "|


No comments:

Post a Comment