कॉमिक
जब हम छोटे बच्चे थे ,चंदा -मामा पढ़ते थे ,
उसमें जब आती थी मित्रों ,छोटी सी चित्रकथा ,
हम तो मित्रों उसी को पढ़कर ,
ज्यादा खुश हो जाते थे |
मैनड्रेक को पढ़ा था हमने ,
अपने नन्हे बचपन में ,
मैनड्रेक जब अदृश्य होकर ,
पहुँच जाता था दूर कहीं ,
हम भी ऐसे कहीं पहुँचने की ,
कल्पना करते थे |
आज तो ढेरों चित्रकथा हैं ,
टिन -टिन छोटे से हैं ,
मोटू - पतलू हँसें - हँसाएँ ,
सबका दिल बहलाएँ ,
चाचा चौधरी ,साबू से मिल ,
रहस्य सभी सुलझाएँ |
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