लाडला और लाडो
हवा तो साँसें देती सब को ,सबको जीवन देती है ,
बिना हवा के ना हम हैं ,बिना हवा के ना तुम हो ,
पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु ,सभी तो उसके हैं आसरे ,
बहती हवा है ,तभी तो सभी की साँसें हैं |
मगर यही हवा जब तेज हो ,तूफ़ान बन जाती है ,
उजड़ते पेड़ -पौधे ,उड़ते जीव -जंतु हैं ,
आशियाने भी ,बर्बाद होते जाते हैं ,
दुनिया में सभी ,परेशान होते जाते हैं |
एक नन्हीं चिड़िया ने ,एक पेड़ पे बनाया आशियाना ,
नन्हां सा घोंसला ,उसमें दिए दो अंडे ,
देखभाल करते ,चिड़ा -चिड़िया उनकी ,
थोड़े वक्त के बाद ,दो बच्चे निकले ,
चीं -चीं करते बच्चे देख ,दोनों खुश हुए |
दो दिन बाद ही ,हवा तेज आई ,
तूफ़ान बन छाई , पेड़ डोलने लगा ,
घोंसला गिरने लगा ,कैसे रोकें उसे ?
दोनों ही परेशान होने लगे |
दो नन्हें बच्चे ,भाई -बहिन ,
अपनी नानी के लाडला और लाडो ,
आए वहाँ ,देखा घोंसला गिरता ,
दोनों ने अपने ,हाथों को मिलाकर ,
पत्तल सा फैला दिया ,घोंसला पकड़ लिया |
सभी खुश --- चिड़ा -चिड़िया ,लाडला -लाडो ,
अब क्या करें ? घोंसला कहाँ रखें ?
भाई -बहिन ने सोचा ,बातें की ,फैसला किया ,
धीरे -धीरे चलकर ,दोनों घर आए ,
घोंसले को दोनों ने ,खिड़की पर रखा |
चिड़ा -चिड़िया ,चीं - चीं करते आए ,
उन दोनों के कंधे पर बैठे ,
भाई -बहिन का ,मानो धन्यवाद किया ,
बच्चे भी मुस्काए और ,दाना -पानी दिया ,
इस तरह ------ एक बर्बाद घोंसला ,
हुआ आबाद घोंसला |
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