Saturday, August 29, 2020

LAADLA OR LAADO ( GEET )

        लाडला और लाडो

 

 हवा तो साँसें देती सब को ,सबको जीवन देती है ,

बिना हवा के ना हम हैं ,बिना हवा के ना तुम हो ,

पेड़ -पौधे ,जीव -जंतु ,सभी तो उसके हैं आसरे ,

बहती हवा है ,तभी तो सभी की साँसें हैं | 

 

मगर यही हवा जब तेज हो ,तूफ़ान बन जाती है ,

उजड़ते पेड़ -पौधे ,उड़ते जीव -जंतु हैं ,

आशियाने भी ,बर्बाद होते जाते हैं ,

दुनिया में सभी ,परेशान होते जाते हैं | 

 

एक नन्हीं चिड़िया ने ,एक पेड़ पे बनाया आशियाना ,

नन्हां सा घोंसला ,उसमें दिए दो अंडे ,

देखभाल करते ,चिड़ा -चिड़िया उनकी ,

थोड़े वक्त के बाद ,दो बच्चे निकले ,

चीं -चीं करते बच्चे देख ,दोनों खुश हुए | 


दो दिन बाद ही ,हवा तेज आई ,

तूफ़ान बन छाई , पेड़ डोलने लगा ,

घोंसला गिरने लगा ,कैसे रोकें उसे ?

दोनों ही परेशान होने लगे | 


दो नन्हें बच्चे ,भाई -बहिन ,

अपनी नानी के लाडला और लाडो ,

आए वहाँ ,देखा घोंसला गिरता ,

दोनों ने अपने ,हाथों को मिलाकर ,

पत्तल सा फैला दिया ,घोंसला पकड़ लिया | 

 

सभी खुश --- चिड़ा -चिड़िया ,लाडला -लाडो ,

अब क्या करें ? घोंसला कहाँ रखें ?

भाई -बहिन ने सोचा ,बातें की ,फैसला किया ,

धीरे -धीरे चलकर ,दोनों घर आए ,

घोंसले को दोनों ने ,खिड़की पर रखा | 

 

चिड़ा -चिड़िया ,चीं - चीं करते आए ,

उन दोनों के कंधे पर बैठे ,

भाई -बहिन का ,मानो धन्यवाद किया ,

बच्चे भी मुस्काए और ,दाना -पानी दिया ,

इस तरह ------ एक बर्बाद घोंसला ,

                      हुआ आबाद घोंसला |

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