इंसानी हक़ की लड़ाई
दुनिया में आते ही ,बुद्धिमान प्राणी मानव ने ,
अपनी धरती ,अपना पानी ,अपनी हवा चाहा ,
मेरी धरती ,मेरा पानी ,मेरी हवा कहा ,
क्या सब कुछ उसका है ?
प्रकृति ने सब कुछ बनाया ,मिला मानव को ,
उपयोग सभी का किया ,मानव ने ,
हक़ सभी पे जमाया ,मानव ने ,
क्या मानव ही सब कुछ है ?
प्रकृति के बनाए नियमों को ,
मानव ने नहीं अपनाया ,
उसने प्रकृति का विनाश किया ,
पर्यावरण को सताया |
मानव प्रकृति के नियमों को गर मानता ,
प्रकृति का विनाश वह नहीं करता ,
पर्यावरण को नहीं बिगाड़ता ,तो प्रकृति उसे मालामाल कर देती ,
जितना अभी दिया है ,उससे कई गुना देती |
हक़ माँगने की जरूरत नहीं होती ,
कर्तव्य पूरे करने पर ,
हक़ स्वयं ही मिल जाते हैं ,
उसके लिए लड़ाई की जरूरत नहीं होती |
No comments:
Post a Comment