वैम्पायर
वैम्पायर है कौन ?शायद भटकती आत्मा ?
मृत्यु के बाद ,आत्मा पुनर्जन्म ना ले ,
यूँ ही भटकती रहे ,अंतरिक्ष में ,
दिखाई यदि दे जाए मानव को ,
एक साया सा ,उसे ही मानव ,
वैम्पायर कह देता है |
मानव की जिंदगी में ,उस समय ,
अगर कुछ बुरा होता है ,
उसे वह उस साये के साथ ,
जोड़ देता है ,उसे बुरा वैम्पायर कहता है ,
अगर कुछ अच्छा होता है ,
तो अपनी किस्मत कहता है |
आत्मा ,परमात्मा ,दोनों ही दिखाई नहीं देते ,
परमात्मा ही जाने ,क्या सच है ?
निद्रामग्न होकर ,हम सपने देखते हैं ,
सपनों में घूमते हैं ,नई दुनिया देखते हैं ,
ऐसे ही शायद हम ,आत्मा को देखते हैं |
कोई नहीं जानता ,क्या सच है ,क्या है सपना ?
हर सपना तो मुझको ,लगता है सिर्फ अपना ,
सपनों की दुनिया तो ,खुशनुमा है मित्रों ,
तुम भी हो जिसमें शामिल ,
खुशियाँ भी जिसमें शामिल |
मानो अगर वैम्पायर ,उसे भी मित्र बनालो ,
चंदा ,सूरज जैसे ,गपशप भी तुम लड़ालो ,
गर वो भटक रहा है ,इस सारी कायनात में ,
उसे भी तो मित्रों ,कोई तो मित्र चाहिए |
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