अपनों के आँगन में
जीवन संगम है प्यार का ,प्रेम ,प्रीत के बाणों का ,
क्यों ना हम दरीचा खोलें ,दिल के अरमानों का ,
आने दें हवा के झोंके ,खोलें द्वार मकानों का ,
सूरज की किरणें दे दस्तक ,खोलें रखें खिड़कियों को |
प्रेम करें हम अपनों से ,अपनों के सपनों से ,
उनके सपनों के साथ -साथ चलके ,पूरा करें कोशिशों से ,
जब सपने उनके होंगे पूरे ,चेहरे पे नजर आएगी ख़ुशी ,
तब हम भी खिल जाएँगे ,देख के उनकी मुस्कानों को |
प्यार बढ़े कदम दर कदम ,प्रीत बनी रहे साँझी ,
हम सब बन जाएँ दुनिया में ,एक -दूसरे के माँझी ,
जीवन नैया डोले ना ,भवसागर को पार करें ,
और किसी का हो ना हो ,अपनों का उद्धार करें |
सारे जग की खुशियों से ,अपनों का दामन भरा रहे ,
चाहे कोई भी मौसम हो ,अपनों का आँगन हरा रहे ,
फूल खिलें हर रंग के ,इंद्रधनुष सा बना रहे ,
उनके दिल की धड़कन में ,संगीत का हर स्वर मिला रहे |
रुक जाए खुशियों का कारवां ,अपनों के आँगन में ,
झूले सावन के पड़े रहें ,अपनों के आँगन में ,
रंग -बिरंगी उड़ें तितलियाँ ,अपनों के आँगन में ,
प्यार के फूल रहें महकते ,अपनों के आँगन में |
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