Monday, August 24, 2020

APNON KE AANGAN ME ( PREM )

        अपनों के आँगन में

 

 जीवन संगम है प्यार का ,प्रेम ,प्रीत के बाणों का ,

क्यों ना हम दरीचा खोलें ,दिल के अरमानों का ,

आने दें हवा के झोंके ,खोलें द्वार मकानों का ,

सूरज की किरणें दे दस्तक ,खोलें रखें खिड़कियों को |


प्रेम करें हम अपनों से ,अपनों के सपनों से ,

उनके सपनों के साथ -साथ चलके ,पूरा करें कोशिशों से ,

जब सपने उनके होंगे पूरे ,चेहरे पे नजर आएगी ख़ुशी ,

तब हम भी खिल जाएँगे ,देख के उनकी मुस्कानों को |


प्यार बढ़े कदम दर कदम ,प्रीत बनी रहे साँझी ,

हम सब बन जाएँ दुनिया में ,एक -दूसरे के माँझी ,

जीवन नैया डोले ना ,भवसागर को पार करें ,

और किसी का हो ना हो ,अपनों का उद्धार करें |


सारे जग की खुशियों से ,अपनों का दामन भरा रहे ,

चाहे कोई भी मौसम हो ,अपनों का आँगन हरा रहे ,

फूल खिलें हर रंग के ,इंद्रधनुष सा बना रहे ,

उनके दिल की धड़कन में ,संगीत का हर स्वर मिला रहे |


रुक जाए खुशियों का कारवां ,अपनों के आँगन में ,

झूले सावन के पड़े रहें ,अपनों के आँगन में ,

रंग -बिरंगी उड़ें तितलियाँ ,अपनों के आँगन में ,

प्यार के फूल रहें महकते ,अपनों के आँगन में |



 

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