Wednesday, August 26, 2020

APANAA PARYAVARAN ( KSHANIKAA )

अपना पर्यावरण

 

आज खड़ी है एक आत्मा ,मानव की नजरों के सामने ,

कह रही है रो -रोकर ,मानव ये क्या किया है तूने ? 

मैंने तुझे जन्म दिया ,पाला -पोसा आराम दिया ,

पर तूने मानव आज तो मुझको ही बर्बाद किया | 

 

क्यों जंगल काटे ,क्यों हरी -भरी धरा को ,

बंजर तूने बना दिया ,

धरा जो सब कुछ देती तुझको ,

उसी को नेस्तोनाबूत किया ,

पानी तेरी खास जरूरत ,उसके बिना तू जिए नहीं ,

पर उसी पानी को तूने मानव ,पीने योग्य नहीं छोड़ा | 

 

पेड़ तुझे साँसे देते ,साँसों से चलता जीवन ,

उन्हीं पेड़ों को मानव तूने ,उखाड़ फेंका जड़ से ही ,

दूषित हवा क्या जीवन देगी जीवन ,सोच ले मानव फिर एक बार ,

ऐसा करने से क्या तेरे ,जीवन में आएगी बहार | 

 

आज महामारी जो फैली ,रोक नहीं उसको पाया ,

मैं हूँ पर्यावरण की आत्मा ,मुझे तो तूने क़त्ल किया ,

कब समझेगा तू मानव ,अपनी बर्बादी लिखता है ,

आँखें होते हुए भी मानव ,तुझको कुछ ना दिखता है ,

मैं मागूँ किस्से इंसाफ ,कौन करेगा मेरा इंसाफ ? 

क्या तू मानव अपना पर्यावरण ,कर पाएगा फिर से साफ ?

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