Friday, August 28, 2020

MERA KYA KASOOR THA ( SHORT STORY )

                    मेरा क्या कसूर था ?

 

दलदल बनी कसूरों की ,हर कोई ना उसमें फंस पाया ,

जीवन संग्राम बना सबका ,हर कोई ना उसके पार गया ,

जो फंसा है दलदल में बंधु ,वो निकल ना उससे पाया ,

मदद -मदद चिल्लाता रहा ,पर मददगार ना कोई पाया | 

 

क्या था कसूर उसका बंधु ?ये समझ में उसकी ना आया ,

दूजा कोई बतलाए क्या ?मदद का हाथ बढ़ाए क्या ?

कैसे कोई मदद करे ?ये समझ ना दूजे को आया ,

दलदल ने उसे कैसे घेरा ?ये समझ नहीं कोई पाया | 

 

प्रकृति आज विनाशित है ,इसके कसूरवार सब हैं ,

हम और आप सभी जन तो ,कसूरवार तो सभी हैं ,

पर कैसे बचाएँ हम अपनी ? प्यारी सी इस दुनिया को ,

जिसे विनाशित किया लाखों वर्षों से ,

क्या दो दिन में बच जाएगी ? 

 

क्या आदम युग में पहुंचें हम ?

सब साधन सुख के त्याग करें , 

पर सब कुछ ना बदलेगा अब ,लाखों ही वर्ष लगाने हैं ,

कसूरवार तो एक नहीं ,सब मानव ही हैं कसूरवार ,

और हम तुम भी मानव हैं बंधु ,

सभी हैं इसके भागीदार |

No comments:

Post a Comment