वाइट वारियर्स -हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी
रचनाकार रचा तुमने ,कैसा ये दुनिया का खेला ?
महामारियों के चक्रव्यूह ने ,आकर इसको घेरा |
ऐसी रचना क्यों की रचेता ? मानव तेरा अकुलाए ,
हवा तो तूने दी है ईश्वर ,साँस ना फिर भी आए |
ऐसी पहेली है ये भगवन ,कोई ना उत्तर सूझे ,
ना है दवा ,ना है दुआ ,डॉक्टर्स भी ना बूझें |
अपने -अपने घर को छोड़ा ,परिवारों से दूर ,
अस्पतालों में जूझ रहे हैं ,हैं फिर भी मजबूर |
जान है उनकी भी जोखिम में ,है नहीं कोई उपाय ,
दे दो भगवन तुम ही उनको ,अच्छा कोई उपाय |
मानव की ऐसी सोच तो देखो ,डॉक्टर्स को भगाय,
एम्बुलेंस को देखते ही ,पत्थर देय चलाय |
जान बचाने आए जो ,उन्हें करें ना नमन ,
सफ़ेद कोट वालों को समझें ,अपनी जान का दुश्मन |
मगर फिर भी लगे हैं सब जन ,जान बचाने उनकी ,
उस चक्कर में उनकी खुद की ,गयी हैं जानें कितनी ?
उनके पीछे परिवार की ,कौन करेगा देखभाल ?
ये सब वो मूर्ख क्या जानें ? जो हैं अनजाने पत्थरबाज |
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